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कर्मचारियों को मर्सिडीज देने वाले डायमंड किंग का अनमोल सच आया सामने, बेटे को एेसे बताई जिंदगी की सच्चाई

परिवार की परंपरा का निर्वहन करते हुए सावजी ढोलकिया ने अपने बेटे को कड़ी ट्रेनिंग के लिए कोच्चि भेजा।

Oct 08, 2018 / 08:50 am

Manoj Kumar

Savji Dholakiya

सामने आया कर्मचारियों को मर्सिडीज देने वाले डायमंड किंग का अनमोल सच, बेटे को एेसे बताई जिंदगी की सच्चाई

नई दिल्ली। अपने कर्मचारियों के कंपनी में 25 साल पूरे होने पर मर्सिडीज कार देकर फिर चर्चा में आए सूरत के हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया एक बार फिर चर्चा में हैं। सावजी इससे पहले अपने कर्मचारियों को दिलावी बोनस के रूप में मकान, कार और मोटरसाइकिल गिफ्ट में देकर सुर्खियों में रह चुके हैं। सावजी ढोलकिया आज सफल बिजनेसमैन में गिने जाते हैं। लेकिन वह आसानी से इस मुकाम पर नहीं पहुंचे हैं। कड़ी मेहनत और आर्थिक तंगी के दौर का सामना करने के बाद आज वे इस मुकाम पर पहुंचे है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सावजी नहीं चाहते कि उनकी सफलता और दौलत की खुमारी बेटे द्रव्य पर ना चढ़े, इसके लिए उन्होंने बेटे को चॉल में रहने के लिए भेज दिया था।
ये है सच्चाई

6 हजार करोड़ के सालाना टर्नओवर की कंपनी के मालिक सावजी ढोलकिया ने शून्य से शिखर का मुकाम पाया है। वह अपने बेटे द्रव्य को भी पैसे की चकाचौंध से दूर रखकर जीवन के मूल्यों का खान देना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अपने बेटे को एक खास प्रकार की ट्रेनिंग दी। इस ट्रेनिंग के तहत जब द्रव्य अमरीका से एमबीए की पढ़ाई करके सूरत लौटे तो उन्हें पारिवारिक कारोबार में शामिल करने के बजाए एक फ्रेशर की तरह नौकरी करने की सलाह दी। दरअसल ढोलकिया परिवार की परंपरा के अनुसार, प्रत्येक बच्चे को पारिवारिक कारोबार में शामिल करने से पहले उसे जीवन और नौकरी से जुड़ी समस्याओं के समझने और उनसे जूझने के लिए बाहर भेजा जाता है। इसमें बाहरी लोगों के सामने आम आदमी और परिवार की पहचान छुपाकर रहने की शर्त भी शामिल है।
चॉल में बिताए तीन हफ्ते

सावजी ढोलकिया ने अपनी पारिवारिक परंपरा अपने बेटे के साथ भी निभाई। सावजी ने अपने बेटे को सस्ती जगह पर रहने खाने की शर्त के साथ एक महीने में तीन नौकरी तलाश करने के लिए परिवार से दूर भेजा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, द्रव्य नौकरी की तलाश में कोच्चि पहुंचे। यहां द्रव्य को पहली नौकरी एक बीपीओ कंपनी में मिली। लेकिन परिवार की शर्त के अनुसार उन्होंने एक हफ्ते बाद ही बिना सैलरी लिए यह नौकरी छोड़ दी। दूसरी नौकरी तलाशने में द्रव्य को काफी समय लगा। इस दौरान वे भूखे तक रहे। द्रव्य को दूसरी नौकरी एक बेकरी और तीसरी नौकरी एक रेस्टोरेंट में मिली। इन सभी नौकरियों को छोड़कर चौथी नौकरी उन्हें मैकडोनाल्ड में मिली। हालांकि, द्रव्य ने यह नौकरी ज्वाइन नहीं की। इस दौरान द्रव्य करीब तीम हफ्ते तक कोच्चि में रहे और एक चॉल में जीवन गुजारा। इस चॉल में रहने के लिए द्रव्य ने एक महीने के लिए 250 रुपए का किराया दिया।

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