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15 दिन नहीं 10 दिन में ठीक होता है कोरोना पीडि़त
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस दवा का नाम रेमडेसिविर है। जिसे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मिली है। इस दवा को हॉस्पिटल में एडमिट होने वाले मरीजों को दी जाएगी। कैलिफोर्निया की जिलियड साइंसेज इंक इस दवाई को वेकलुरी का नाम दिया है। साथ ही यह भी पाया गया है कि इस दवा को लेने से कोविड पेशेंट 15 दिन की जगह 10 दिन में ठीक हो सकता है। अमरीकी नेशनल हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की ओर से की स्टडी के मुताबिक कोरोना वायरस मरीजों के अस्पताल में भर्ती रहने का दिन 5 दिन तक और मौत का रिस्क 30 फीसदी तक कम हो गया।
दुनिया की है पहली दवाई
रेमडेसिविर दुनिया की पहली ऐसी दवाई है जिसे मंजूरी है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी यही दवा दी गई थी। अब इस दवा को उन तमात लोगों को दी जा सकती है कोविड की वजह से हॉस्पिटल में भर्ती हुए हैं। साथ ही जिनकी उम्र कम से कम 12 साल और वजन कम से कम 40 किलोग्राम होना जरूरी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रेमडेसिविर उस एंजाइम का रास्ता बंद करती है, जो कोरोना वायरस की कॉपी बनाने में मदद करता है। मरीजों पर इस दवाई के इस्तेमाल से पहले कुछ जांच की जरूरत होगी।
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50 देशों में मिली है मंजूरी
इस दवा का यूज मलेरिया की दवाई हाइड्रोऑक्सीक्लोरोक्वीन बेअसर होगी। जिलियड कंपनी के अनुसार उन्होंने बताया कि इस दवाई को 50 देशों में या तो मंजूरी मिल है या फिर अस्थाई रूप से मंजूरी मिली हुई है। मौजूदा समय तमें इस दवा की कीमत पर विवाद छिड़ा हुआ है। इसका कारण है कि किसी भी अध्ययन में इससे जीवित बचने की दर में सुधार नहीं पाया गया।वैसे पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक स्टडी में यह पाया है कि यह दवाई अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की मदद नहीं करती है।