क्या है शर्तेंं
दूरसंचार विभाग (DoT) ने 7,268 करोड़ रुपये के अपफ्रंट पेमेंट और 6,452 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी के रिप्लेसमेंट की शर्तें रखी हैं। लेकिन वोडाफोन और आइडिया दोनो ही इस शर्त से नाखुश है। इतना ही नहीं DoT ने आइडिया से 3,342 करोड़ रुपये की एक बैंक गारंटी मांगी है। 4.4 मेगाहर्ट्ज लिमिट से ऊपर के नॉन-ऑक्शंड स्पेक्ट्रम के मामले में वन-टाइम स्पेक्ट्रम चार्ज के रूप में यह रकम मांगी गई है। वहीं वोडाफोन इंडिया से 3,926 करोड़ रुपये की डिमांड की गई है। यह उस नॉन-ऑक्शंड स्पेक्ट्रम की मार्केट प्राइस है, जो इस कंपनी को कामकाज शुरू करने पर 4.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम मिलने तक दिया गया था।
शर्तों से दोनों कंपनियां नाखुश
दोनो ही कंपनियां इन शर्तों से नाखुश है। ऐसे में इस शर्त के खिलाफ दोनो टेलिकॉम कंपनिया आदालत का दरवाजा खटखटाने की सोच रही है। अगर ऐसा होता है तो दोनो कंपनियों के एक साथ आने में काफी वक्त लग जाएगा। दोनों ही कंपनियों ने मर्जर होने का फैसला जियो के टेलिकॉम सेक्टर में आने के बाद किया है। जियो के टेलिकॉम सेक्टर में आते ही वोडाफोन और आइडिया काफी नुकसान में चल रही थी ।
किसे मिलेगी कितनी हिस्सेदारी
उम्मीद जताई जा रही है की दोनो कंपनियों के मर्जर होने के बाद नई कंपनी में वोडाफोन के पास 45.1फीसदी, आदित्य बिड़ला ग्रुप के पास 26फीसदी और आइडिया के पास 28.9 फीसदी हिस्सेदारी होगी । बता दें की आइडिया के पास खुद का 4G नेटवर्क नहीं है। लेकिन वोडाफोन और आइडिया के साथ में आने के बाद आइडिया के ग्राहको को 4G नेटवर्क सुविधा मिल जाएगी।