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आखिर क्योंं नहीं थम रहे बैंको की मुसीबत, एनबीएफसी पर क्यों नहीं दबाव

locationनई दिल्लीPublished: Oct 12, 2017 10:58:21 am

Submitted by:

manish ranjan

ताजा आकड़ों के मुताबिक यह राशि बढक़र 9.5 लाख करोड़ के पार चली गई है।

Bank Debt

नई दिल्ली. सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद डूबते लोन से पब्लिक सेक्टर बैंक उबर नहीं पा रहे है, बल्कि यह और बढ़ती जा रही है। ताजा आकड़ों के मुताबिक यह राशि बढक़र 9.5 लाख करोड़ के पार चली गई है। सूचना के अधिकार के जरिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मिले डाटा के मुताबिक जून के अंत तक बैंकों के कुल स्ट्रेस्ट लोन में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसमें नॉन परफॉर्मिंग और रिस्ट्रक्चर्ड लोन शामिल हैं। पिछले 6 महीनों में ये लोन 5.8 फीसदी तक बढ़ गए हैं।

ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं, जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लगातार बैंकों पर बैड लोन को कम करने का दबाव बना रहा है। पिछले कुछ सालों में लगातार डूबते लोन के बढऩे से बैंकों को खासा नुकसान झेलना पड़ा है। इसके अलावा नए लोन देने से बैंक हिचक भी रहे हैं। ऐसे में उन छोटी कंपनियों को नुकसान होता है जो पूरी तरह बैंक लोन के जरिए बिजनेस करने पर निर्भर होते हैं।


विलफुल डिफॉल्टर्स का बोझ

चार सालों में बैंकों पर विलफुल डिफॉल्टर्स का बोझ चार गुना से अधकि हो चुका है। जिसके कारण बैंक अब असंगठित सेक्टर को भी लोन देने से कतरा रहे हैं।


इन पर है सबसे ज्यादा बकाया

एस्सार स्टील, भूषण स्टील, एबीजी शिपयार्ड, इलेक्ट्रोस्टील और आलोक इंडस्ट्रीज शामिल हैं। जिनपर कुल एनपीए का 25 फीसदी बकाया है। बैंकों के एनपीए बढ़ाने में सबसे ज्यादा नुकसान विलफुल डिफॉल्टर्स की वजह से हुआ है।


एनबीएफसी पर क्यों नहीं है दबाव बना

एक तरफ जहां परंपरागत बैंकिंग सिस्टम को लगातार नुकसान हो रहा है वहीं नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए एक नया विकल्प बनता जा रहा है। बल्कि ये कंपनियां अपने बेहतर रणनीति के चलते आगे बढ़ रही है। बजाज फाइनेंस की बात करें तो इसका मार्केट कैप 1,11,532 करोड़ के पार पंहुच चुका है जो देश की कई बड़ी बैंकों के करीब आ चुकी है। ३ साल में २६ एनबीएफसी में १७ कंपनियों में तेज ग्रोथ दिख रही है।

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