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मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछली सरकारों में नोएडा जाने को लेकर एक मिथ था। ऐसा साजिशन उन लोगों ने किया था, जिनकी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे के आस-पास काली कमाई लगी थी या ऐसे लोगों को अपने हित के लिए वे संरक्षण दे रहे थे। पैसा देने के बाद भी घर न मिलने की 80 फीसदी शिकायतें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आठ जिलों से ही हैं। कुछ पीडि़त ग्राहकों और बिल्डर्स से मिलने के बाद मुझे नोएडा का यह मिथ समझ में आया। मुख्यमंत्री ने कहा, “10 वर्षों से लंबित लगभग तीन लाख होम बायर्स जिन्हें आवास नहीं मिल पाया था, बिना किसी दबाव के, संवाद के माध्यम से हम लोग पहले एक वर्ष में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे में एक लाख बायर्स को आवास दिलाने में सफल हुए।”
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केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “रेरा के पूर्व यह सेक्टर आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा था। कृषि के बाद सर्वाधिक संभावनाओं वाला यह क्षेत्र असंगठित था। सत्ता में आने के साल भर के भीतर प्रधानमंत्री मोदी ने रेरा के जरिए इसे संगठित किया। इसके पहले रेरा के चार क्षेत्रीय सम्मेलन हो चुके हैं। यह पहला राष्ट्रीय सम्मेलन है। अब ऐसे सम्मेलन हर साल होंगे। अब तक के सम्मेलनों से निकले निचोड़ के आधार पर हम रेरा को और प्रभावी एवं पारदर्शी बनाएंगे। शीघ्र ही हम मॉडल टेनेंसी एक्ट और रियल एस्टेट ई-कामर्स पोर्टल लाएंगे। मेरा प्रयास यह है कि आने वाले समय में शहरीकरण का मंजर बदल जाए।”
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केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा, “सबके आवास का सपना साकार हो, इसके लिए हर साल 900 वर्ग किमी में आवास बनाने की जरूरत होगी। सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र का योगदान करीब आठ फीसदी का है। विदेशी निवेश से पैसा पाने वाले क्षेत्रों में इस क्षेत्र का नंबर पांचवा है। 2030 तक इस क्षेत्र में 50 करोड़ और 2050 तक 80 करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा।” इस मौके पर रेरा के चेयरमैन राजीव कुमार, मुख्य सचिव आर.के. तिवारी भी मौजूद रहे।