दबाव के समय रहाणे का खेल एक अलग स्तर पर पहुंच जाता है। यहां आईपीएल सीज़न 12 में रहाणे की बल्लेबाज़ी का विश्लेषण करने पर एक रोचक बात निकलकर सामने आई। वो ये कि रहाणे पर जब-जब टीम की कप्तानी का बोझ होता है तब-तब उनके प्रद्रर्शन का स्तर गिर जाता है। वहीं जब उनके कंधों पर कप्तानी का भार नहीं होता है तब उनके खेल में जबदस्त सुधार देखने को मिलता है और वे खुलकर बल्लेबाज़ी का आनंद लेते हैं।
बतौर कप्तान रहाणे का प्रदर्शन
इस सीज़न में अजिंक्य रहाणे ने राजस्थान की ओर से बतौर कप्तान 9 मैच खेले हैं। 9 मैचों की इतनी ही पारियों में वे केवल 203 रन ही बना सके। इस दौरान उनका औसत रहा 22.55 और स्ट्राइक रेट रही 130.96 की। ये आंकड़े कहीं से अजिक्य रहाणे की बल्लेबाज़ी क्षमता से मेल नहीं खाते।
कप्तानी का बोझ हटते ही मैदान पर राज करते हैं रहाणे
अब ठिक इसके उलट रहाणे के बिना कप्तानी के प्रदर्शन पर नजर डालते हैं। कप्तानी का बोझ हटते ही रहाणे के खेल में गजब का निखार देखने को मिलता है। इस सीज़न में रहाणे ने स्टीव स्मिथ की कप्तानी में खेलते हुए 4 मैचों की चार पारियों में ही 190 रन ठोक दिए। इस दौरान उनका बल्लेबाज़ी औसत रहा 63.33 का और स्ट्राइक रेट भी काफी प्रभावी 146.15 का रहा। इससे साबित होता है कि रहाणे को कप्तानी रास नहीं आती।
मुसीबतों से डटकर लड़ते हैं रहाणे
रहाणे भारतीय क्रिकेट टीम में एक योग्य बल्लेबाज़ के रूप में स्थापित हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्हें इंग्लैंड में होने वाले आईसीसी वनडे क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं दी गई है। रहाणे का टीम में न चुना जाना इसलिए भी अखरता है क्योंकि इंग्लैंड में उनका बल्लेबाज़ी रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा है।
वर्ल्ड कप टीम में नहीं चुने जाने से रहाणे निराश तो हैं लेकिन उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में अपनाया है। रहाणे ने तय किया कि वे इस खाली समय में वे काउंटी क्रिकेट खेलेंगे। मतलब जिस समय भारतीय टीम वर्ल्ड कप खेल रही होगी लगभग उसी समय रहाणे इंग्लिश धरती पर काउंटी क्रिकेट खेल रहे होंगे।