scriptधरती, आकाश और समुद्र में दुश्मन को होगा सफाया | Enemy will be eliminated in the earth, sky and sea | Patrika News

धरती, आकाश और समुद्र में दुश्मन को होगा सफाया

locationइटारसीPublished: Mar 22, 2019 11:49:58 am

Submitted by:

krishna rajput

जलसेना, थलसेना की क्षमता बढ़ाएगी आयुध निर्माणी इटारसीहवा और पानी में चलने वाली मिसाइल एलआरसेम, हीब की जा रही विकसितआयुध निर्माणी इटारसी बना रहा एलआरसेम और आरजीबी ६०

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कृष्णा राजपूत
इटारसी. आयुध निर्माणी इटारसी जलसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए दो नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। एक नया प्रोजेक्ट थल सेना के लिए भी पूरा किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने पर नौसेना की नभ, जल और थल में सैन्य क्षमता बढ़ जाएगी।
निर्माणी में बन रहे एलआर सेम जहां सतह से हवा में मार करेगा वहीं आरजीबी 60 जल में पनडुब्बी को नष्ट करने के लिए उपयोग में लिए जाएगा। इसके अलावा हीब एम्युनेशन का निर्माण भी किया जा रहा है जो हाइली एक्सप्लोसिव इनहैंसड ब्लास्ट है जो थल सेना के उपयोग में आएगा।
आयुध निर्माणी इटारसी देश की एक मात्र ऐसी फैक्ट्री है जिसमें सभी कैलीबर के प्रोपलेंट का ही निर्माण करती है। फैक्ट्री की विशेष इकाई अनुसंधान एवं विकास (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) द्वारा 3 बड़े प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है इसके तकनीकी का हस्तांतरण डीआरडीओ द्वारा ऑडनेंस फैक्ट्री इटारसी को किया जा चुका है।

एलआरसेम की यह विशेषता
– एलआरएसएएम (लांग रेंज सरफेस टू एअर मिसाइल) के लिए प्रोपलेंट बनाने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट किया जा रहा है।
– यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
– इसकी मारक क्षमता 70 किलोमीटर होगी।
– इस मिसाइल का उपयोग नौसेना द्वारा किया जाएगा इससे युद्धपोत द्वारा दुश्मन के जहाज को हवा में ही नष्ट किया जा सकता है।

आरजीबी 60 की यह है विशेषता
– यह युद्धपोत से चलाया जाने वाला एंटी सबमरीन रॉकेट है जो दुश्मन की पनडुब्बी को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
– यह भी नौसेना के लिए उपयोग में किया जा सकेगा।
– प्लास्टिक बोंडेड एक्सप्लोसिव भरकर इसकी संरक्षा और आयु सीमा को बढ़ाया जा रहा है।
हीब की यह है विशेषता
एचईईबी (हीब) एम्युनेशन 81 एमएम मोर्टार और 105 एमएम आर्टिलरी गन (तोप) से फायर किए जाने वाला एम्युनिशन है। हीब अर्थात हाई एक्सप्लोसिव इनहैंसड ब्लास्ट होता है।
– अब इसमें पॉलीमर बोनडेड का उपयोग करके निर्मित किया जा रहा है पहले इसमें टीएनटी(ट्राय नाइट्रो टालूइन) का इस्तेमाल होता था।
– अब इस एम्युनिशन की आवेग क्षमता, घातकता और मारक क्षमता में वृद्धि की जा रही।
– संरक्षा और सुरक्षा की दृष्टि से अभी इसमें कई बदलाव किए गए हैं अब यह ज्यादा सुरक्षित है और इसका परिवहन करना भी सुरक्षित और आसान होगा।
आयुध निर्माणी तीन नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इससे जल सेना और थल सेना की की क्षमता में इजाफा होगा।
शेखर पांडे, पीआरओ आयुध निर्माणी इटारसी

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