उन्होंने कहा कि यूरिया व डीएपी से स्वास्थ्य को हानि पहुंच रही है। समाज में यूरिया एवं डीएपी के भी अनेकों विकल्प मौजूद है। कृष्णमुरारी ने बताया कि गुजरात की एक प्रतिष्ठित नस्ल की गिर गाय जोकि ब्राजील देश के किसान गुजरात से ले गए एवं उनका नंदी संवर्धन किया और वही गिर गाय आज ब्राजील में 62 लीटर दूध प्रतिदिन दे रही है। हमारे किसान भी इसी प्रकार संवर्धन कर पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इस पर हमें ध्यान देना होगा।
बैठक में भारतीय किसान संघ के संभाग संगठन मंत्री दिनेश शर्मा, संभाग अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान, संभाग मीडिया प्रभारी शिव मोहन सिंह, जिला अध्यक्ष देवेंद्र पटेल,जिला सहमंत्री रजत दुबे, विजय पटैल, संभाग सदस्य मंगलसिंह राजपूत, बल्देव मलैया, ग्यारसा पटैल, कृष्णपुरी गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।
जींन से बना रहे बीज- पौधे और पशु
वैद्य कृष्णमुरारी ने बताया कि अनेकों विदेशी कंपनियां जींन से छेड़छाड़ कर बीज, पौधे अथवा पशुओं की नई नस्ल तैयार करती है, जोकि हानिकारक होता है। इसका उपयोग हम सभी दैनिक जीवन में करते हैं। इसलिए स्वदेशी तकनीक से संवर्धन कर किसान समाज के स्वास्थ्य को हानि पहुंचने से बचा सकते हैं।
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