– योजना केे तहत पांच टंकी बनना था लेकिन चार टंकी बनाई गई है। इसमें बाजार की तीन टंकियों को कनेक्ट कर दिया गया है लेकिन आज तक यह तीनों टंकियां लोड क्यों नहीं हुई। क्यों इसमें पानी भरते ही बह जाता है।
– अमानक पाइप लाइन बिछाई गई है। डीआइ पाइप लाइन बिछाना था लेकिन सीआई लाइन बिछाई गई। पाइप लाइन में किए गए बदलाव से करीब १ करोड़ का अंतर आया है। इस राशि का समायोजन नहीं किया गया है।
– टेंपरेरी कंटनजेंसी वक्र्स के नाम पर ७७ लाख रुपए का भुगतान किया गया था। अलग से इतनी राशि के काम कैसे कराए गए जबकि अभी योजना भी पूरी नहीं हुई है।
– जल आवर्धन योजना सेपरेट थी तो पुरानी धोखेड़ा लाइन से क्यों जोड़ा गया। – राइजिंग लाइन को तोडक़र संपवेल से जोड़ दी गई है।
यूआईडीएसएसएमटी के तहत यह शर्त होती है कि जल आवर्धन योजना पहले पूरी की जाए। इसके बाद सीवर लाइन को स्वीकृति मिलेगी। दरअसल सीवर लाइन में पानी के माध्यम से मलबा बहाया जाता है। मलबा बहाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए सीवर लाइन की स्वीकृति तभी मिलती है जब पर्याप्त पानी उपलब्ध हो।
ठेका कंपनी दोषियान ने मेन पाइप लाइन की टेस्टिंग कर ली है। इस टेस्टिंग में लीकेज निकले थे। इसक बाद शहर में टंकियों से जोडऩे के बाद पाइप लाइन कई जगह से कई बार बस्ट हो चुकी है।
जल आवर्धन योजना
स्वीकृत- 2007- 2008
प्रस्तावित राशि- 14 करोड़ रुपए
काम शुरू हुआ- 2012 में
योजना की राशि- 24 करोड़ 36 लाख रुपए
टंकी-5 बनना है 4 बनी
कुल पाइप लाइन- 14 किलोमीटर
क्लियर वाटर पाइप लाइन- 11 किलोमीटर
स्रोत जल से पंप तक की पाइप लाइन- 3 किलोमीटर
शहर की आबादी- 96 हजार
पहले से यह है उपलब्ध
वाटर सप्लाई- 80 लाख लीटर
पुरानी टंकी- 4
ट्यूबवेल- 125 लगभग
जेटपंप- 145 लगभग
अमोल उपाध्याय, प्रदेश मीडिया समन्वयक युवक कांग्रेस
हरेंद्र नारायण, एसडीएम इटारसी