यहां के ग्रामीणों का कहना है कि वे निजी बोर से पानी खरीदकर ला रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार शासन की नीति के अनुसार विस्थापित ग्रामों में पेयजल और सड़कों समेत अन्य विकास कार्य यहां रहने वाले परिवारों के लिए वनविभाग को मुहैया कराना था। विभाग ने यहां के विस्थापित 95 परिवारों के लिए नलकूप खनन कराए, पर इस बार 15 नलकूप को छोड़कर बाकी सभी नलकूप फेल हो गए।
कलेक्टर ने खराब हैंडपंपों को सुधारने के दिए निर्देश सतपुड़ा रेंज के अधिकारियों को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने आदिवासी ग्राम नया मानागांव समेत अन्य गांवों के सभी बंद नलकूपों और हैंडपंपों को सुधारकर शुरू करने के निर्देश दिए। सतपुड़ा पार्क के प्रभारी अधिकारी संदीप फेलोस ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। कलेक्टर ने इस कार्य में पीएचई विभाग के अधिकारियों को भी वनविभाग के साथ मदद करने को कहा है।
विनोद बारीवा ने बताया – निजी व्यय पर नलकूप का खनन कराया तिलक सिंदूर समिति प्रवक्ता विनोद बारीवा और आदिवासी जन परिषद के फागराम ने बताया कि ये गरीब आदिवासी इन निजी बोरवेलों से पैसे देकर पानी खरीदने को मजबूर हैं। पेयजल संकट को देखते हुए कुछ लोगों ने निजी व्यय पर नलकूप का खनन कराया है, जिससे लोगों को पीने के लिए पानी उपलब्ध करा रहे हैं, बदले में आदिवासियों को राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। उन्होंने मांग की है कि वन विभाग सभी खराब नलकूपों को सुधारकर शुरू करवाएं।
चतुर सिंह बोले-जब से आए हैं हमें मूलभूत सुविधाएं ही नहीं मिली तिलक सिंदूर रोड जमानी के पास स्थित नया मानागांव के रहवासी चतुर सिंह ने बताया कि 2018 से इस गांव में आए हैं। तभी से हमें शासन की तरफ से मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रहीं, जिसमें पीने के पानी की समस्या बड़ी कठिन है। इसलिए हमें खरीदना पड़ता है और दूसरे मोहल्ले से पानी लाना पड़ता है। उसमें भी हमें पैसे देकर पानी खरीदना पड़ता है। इसी गांव के अमन, मुकेश, शिवन ने बताया कि नलकूप में घटिया स्तर की केसिंग डाली गई थी, जिससे अधिकांश नलकूप बंद हो गए। नलकूपों के बैठने के बाद ग्रामीण आसपास के गांवों के निजी बोरवेलों के भरोसे ही रह गए हैं।
वर्जन नया मानागांव समेत कुछ गांवों में जलस्तर घटने से बोर बंद हो गए हैं, वहीं कुछ बोर के अंदर मोटर फंस गई है। जिसे जल्दी ही ठीक कराकर शुरू करवा रहे हैं।
– संदीप फेलोज, प्रभारी अधिकारी, सतपुड़ा नेशनल पार्क