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वन विभाग के बांटे बर्तनों मवेशी खा रहे चारा

locationइटारसीPublished: May 16, 2019 09:20:25 pm

Submitted by:

krishna rajput

– वन विभाग ने वन समितियों को बांटे थे बर्तन- कहां गए बर्तन जिम्मेदारों को नहीं है जानकारी

The forest department was distributed utensil to the forest committees, kesla, itarsi

The forest department was distributed utensil to the forest committees, kesla, itarsi

इटारसी. वन विभाग ने केसला की वन समितियों की सुविधाओं के लिए बर्तन का वितरण किया था। अब यह बर्तन कहां गए किसी को मालूम नहीं हैं। गांव वालों की मानें तो इसमें गांव के दबंग अपने जानवरों को चारा खिला रहे हैं।
तेंदूपत्ता बीनने वाले आदिवासियों को वन समितियों माध्यम से वन विभाग ने यह सुविधाएं पंचायत को उपलब्ध कराई थी। इन सुविधाओं को देने का उद्देश्य यह था कि गांव के लोग छोटी-छोटी आवश्यकताओं के लिए परेशान नहीं हों।
– बांटे थे बर्तन और कंबल
केसला आदिवासी अंचल में दूरदराज के गांवों में रहने वाले आदिवासी परिवारों में यदि विवाह समारोह या अन्य आयोजन होते है तो उन्हें छोटे-छोटे इंतजाम करने के लिए परेशान होना पड़ता है। समारोह के खासकर बर्तनों की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए बड़े बर्तन जो टेंट से लेना पड़ता है उपलब्ध कराए थे। इसमें बड़े गंजे, कढ़ाई, थाल सहित अन्य सामग्री दी गई थी। इसके अलावा ठंड के दिनों में गर्म वस्त्रों की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए कंबल भी बांटे गए थे।
कहां कैसे हैं हालात
ग्राम पंचायत पिपरिया खुर्द
– परिवार में शादी थी तब बर्तन लेने गया है लेकिन खूब ढूंढने के बाद भी बर्तन नहीं मिले तो किराए से बर्तन लाना पड़ा।
मन्नालाल, ग्रामवासी पिपरिया खुर्द पंचायत
– जो लोग ले जाते हैं तो वापस नहीं देते, क्या पता किसके पास रखें हैं। दो-एक साल हो गए पता नहीं हैं।
रुनिया बाई, सरपंच पिपरिया खुर्द पंचायत

ग्राम पंचायत चारटेकरा
टेंट हाउस से बर्तन लाना पड़ता है। जब काम रहता है तो कहां ढूंढने जाएं मिलते नहीं हैं इसलिए टेंट के बर्तन ले आते हैं।
जगदीश दामले, ग्रामवासी चारटेकरा
गांव में ही रहते है जब लोगों जरूरत होती है तो मांग कर दे देते हैं। गांव में ही किसी के पास बर्तन रहते हैं।
छोटेलाल, सरपंच प्रतिनिधि चारटेकरा
– मोरपानी पंचायत
हमारे घर में एक दिन पहले ही शादी थी। बर्तन ढूंढते रहे नहीं मिले तो टेंट से लेकर आ गए थे।
सखीराम, मोरपानी पंचायत
गांव में लोगों के पास है ले जाते हैं तो वापस नहीं देते हैं। हालांकि कम बर्तन थे इसलिए कभी-कभी नहीं मिल पाते हैं।
संगीता ठाकुर, सरपंच मोरपानी
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