इटारसी स्टेशन के प्लेटफॉर्मो के एप्रान और स्लीपॉट कई जगह से जर्जर हो गए हैं। ब्लॉक न मिलने के कारण रेलवे इनकी मरम्मत नहीं कर पा रही है। चार साल पहले भी केवल प्लेटफॉर्म एक के स्लीपॉट और एप्रान बदले गए थे, मगर अब दो, तीन, चार और पांच प्लेटफॉर्म के एप्रॉन टूट चुके हैं। ऐसे में ३0 की गति से आने वाली ट्रेनों को 10-15 की गति से काशन ऑर्डर से लाना पड़ रहा है। एप्रॉन और स्लीपॉट टूटने से रेलवे को इनकी सफाई करने में परेशानी हो रही है। वहीं गंदा पानी भरने से लकड़ी के स्लीपॉट खराब हो रहे हैं। एप्रॉन कई जगह से क्रेक हो गई है। इससे पॉसिंग ट्रेनों को कम गति से भेजने से पीछे आ रही ट्रेनें लेट हो रही हैं। प्लेटफॉर्मों से यात्री ट्रेन 15 किमी. तथा गुड्स ट्रेन 10 किमी की रफ्तार से गुजर रही हैं।
अभी काशन ऑर्डर से आ रहीं ट्रेनें
एप्रॉन और स्लीपॉट खराब हुए प्लेटफॉर्मों पर आने वाली ट्रेनों के चालकों को पहले आउटर पर कॉशन देकर ३0 की जगह 10 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से लाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। काशन ऑर्डर से चारों प्लेटफॉर्मों पर ट्रेनों को लाया जा रहा है।
ट्रेन के पटरी से उतरने का हमेशा रहता है डर
अधिकारियों के अनुसार कमजोर एप्रॉन से ट्रेनों की पॉसिंग के दौरान हादसे का डर रहता है, ट्रेनें हिचकोले खाती हैं। पटरियों को मजबूती से जोड़कर रखने वाले स्लीपॉट भी टूटने से ट्रेक कमजोर हो चुके हैं। ऐसे में ट्रेन के पटरी से उतरने का डर रहता है। फिलहाल रेलवे कमजोर स्थानों पर लकड़ी के टुकड़े लगाकर जुगाड़ से काम चला रही है।
45 दिन ब्लॉक चाहिए, अनुमति नहीं मिली
रेलवे के अधिकारी एप्रॉन और स्लीपॉट बदलने का प्रस्ताव मुख्यालय में भेज चुके हैं। वहां से मंजूरी मिल जाए तो सबसे बड़ी समस्या 45 दिन के ब्लॉक को लेकर आ रही है। मतलब उतने दिन इन चारों प्लेटफॉर्मों पर ट्रेनों की आवाजाही रोकनी पड़ेगी। जबकि यहां ट्रेनों का इतना दबाव है कि रेलवे ब्लॉक मंजूर करने की हालत में नहीं है।
इटारसी स्टेशन की एप्रॉन और स्लीपॉट पुराने होने के कारण बदलने की प्रक्रिया की मंजूरी विभागीय स्तर पर जैसे मिलेगी, वैसे ही काम शुरू होगा। फिलहाल अधिकारी सतर्कता से संरक्षा का ध्यान रखकर ट्रेनों की पॉसिंग कर रहे हैं।
-सुबेदार सिंह, पीआरओ, भोपाल मंडल