विश्व बैंक की योजना ने बदली 700 आदिवासी परिवारों की जिंदगी, बिचौलिए नहीं कर पाएंगे शोषण
-महुआ कलेक्शन नेट से तीन रेंजों के 700 परिवारों की जिंदगी हुई खुशहाल
-बिचौलिए व व्यापारी नही कर पाएंगे आर्थिक शोषण

राहुल शरण, इटारसी। विश्व बैंक की वित्त पोषित योजना ग्रीन इंडिया मिशन ने होशंगाबाद के सामान्य वनमडंल के तहत आने वाले तीन रेंजों के करीब 700 आदिवासी परिवारों की जिंदगी बदल दी है। उनकी जिंदगी में बदलाव लाने में बड़ी भूमिका महुआ कलेक्शन नेट ने निभाई है जिससे उनका मुनाफा दोगुना हो गया है। इस योजना में अब ये आदिवासी बिचौलियों अथवा व्यापारियों के शोषण का शिकार होने से भी बच रहे हैं और अपना महुआ पंजीकृत व्यापारियों को सही दाम में बेच मुनाफा कमा रहे हैं।
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इन रेंजों में बांटी महुआ कलेक्शन नेट
होशंगाबाद जिले में इटारसी, सुखतवा, और बानापुरा रेंज के रांझी, भातना, लालपानी पिपरिया, पीपलकोटा आदि गांवों के आदिवासी परिवारों को लगभग 700 कलेक्शन नेट दिए गए हैं। इसे महुए के पेड़ के नीचे लकड़ी के सहारे थोड़ी ऊंचाई पर लगाने महुआ टूटकर नेट पर गिरता है जिससे धूल-मिट्टी से उसकी गुणवत्ता खराब होने से बचती है। नेट से वनोपज भी दो से ढाई गुना अधिक होती है।
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योजना से यह हुआ फायदा
महुआ कनेक्शन नेट लगाने से आदिवासियों को वहां रुकना नहीं पड़ता है। जिससे वे जंगली जानवर का शिकार होने से बच रहे हैं। आदिवासियों की आवाजाही कम होने से जंगल में आगजनी की घटनाएं कम होंगी। ग्रामीणों का महुआ बीनने में अब समय बर्बाद नहीं होता है। खाली वक्त में वे दूसरा काम कर रहे हैं।
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पंजीकृत व्यापारी ही खरीदेगा
जैव विविधता अधिनियम 2002 के तहत जिन व्यापारियों ने वन विभाग मे पंजीकरण कराया है। वे ही इस वनोपज को खरीद संकेगे। व्यापारियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा। यदि व्यापारी नहीं पहुंचेगा तो वन विभाग स्वयं शासकीय दर 35 रुपए प्रति किलो के हिसाब से महुआ खरीदी करेगा। इससे आदिवासी परिवारों का बिचौलिए या गैर पंजीकृत व्यापारी शोषण नहीं कर सकेंगे।
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सीधी बात/ अजय कुमार पांडे डीएफओ
सवाल-महुआ बीनने वालों के लिए यह योजना क्या है?
जवाब-विश्व बैंक की वित्तपोषित योजना ग्रीन इंडिया मिशन से महुआ संग्रहणकर्ताओं को महुआ कलेक्शन नेट दिए गए हैं।
सवाल-इसका फायदा क्या है?
जवाब-इससे संग्रहणकर्ताओं को पूरी उपज मिलेगी। जिसे वे पंजीकृत व्यापारी को बेचकर पूरा मुनाफा ले रहे हैं। इससे वे बिचौलियों के शोषण से भी बच रहे हैं।
सवाल-कितने परिवारों को नेट दी गई है?
जवाब-अभी जिले में हमने करीब ७०० परिवारों को नेट दी है। इससे उन्हें काफी आर्थिक लाभ हुआ है।
सवाल-नेट वितरण से पहले तैयारी कराई थी क्या?
जवाब-हां इसकी आदिवासी परिवारों को ट्रेनिंग दी थी उसके बाद उन्हें महुआ कलेक्शन नेट दिए गए।
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