गर्मियाें के मौसम में तरबूज और खरबूज दोनों की खपत बढ़ जाती है। इसकी उपज भी इसी मौसम में होती है। पिछली बार ज्यादातर फसल नदियों में हुई थी। लेकिन किसानों ने फिर से इसे खेतों में लगाया है। जहां-तहां खेतों में गाढ़े हरे रंग के तरबूज नजर आते हैं। इसका अपना स्वाद और मिठास है। लाल रंग का गूदा देखकर हर किसी की जीभ इसे खाने के लिए ललचा जाती है। इसी प्रकार खरबूज की खुश्बू भी खेतों से लेकर मंडी और बाजार में महक रही है।
60 फीसदी से ज्यादा स्थानीय उत्पादकता
तरबूज और खरबूज की फसल स्थानीय स्तर पर होती है। नर्मदा नदी के किनारों के अतिरिक्त पाटन, शहपुरा, मझाैली, कटंगी और सिहोरा क्षेत में किसानों से इन्हें लगाया है। इसी प्रकार छिदवाड़ा, सिवनी और नरसिंहपुर से भी इनकी आवक हो रही है। ऐसे में लोगों को अलग-अलग जगह का स्वाद मिल रहा है। इसकी बिक्री भी तेज हो गई है। अभी अन्य फलों को छोड़कर अधिकांश लोगों थैलों में तरबूज और खरबूज होता है। इसी प्रकार आंध्रप्रदेश से खरबूज की रह चिमड़ी की आवक भी तेज है।

अच्छा हो रहा है कारोबार
थोक फल मंडी व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष अशरक रिजवी ने बताया कि अभी मंडी में सबसे ज्यादा गाडि़यां तरबूज और खरबूज लेकर आ रही है। एक अनुमान के अनुसार प्रतिदिन 60 से 70 टन तरबूज तो 30 से 40 टन खरबूज आ रहा है। रिजवी ने बताया कि आम की आवक भी तेज है। अभी बादाम, दसेरी और तोतापरी आम आ रहा है। इनकी थोक में कीमत 45 रुपए से लेकर 85 रुपए तक है। इसी प्रकार पपीता, अंगूर, अनार, केला की आवक सामान्य है।