मिली जानकारी के मुताबिक सीरम इंस्टीट्यूट से मैक्स हेल्थ केयर जबलपुर नामक एक अस्पताल ने उक्त डोज खरीदी है। इसकी सूची जबलपुर के स्वास्थ्य विभाग को मिली तभी से हड़कंप मचा है। स्वास्थ्य विभाग ने इस मैक्स हेल्थ केयर अस्पताल का पता लगाने की पूरी कोशिश की लेकिन कुछ भी पता नही चल सका।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ शत्रुघन दाहिया का कहना है कि वैक्सीनेशन एप पर दो दिन पहले ही उन्हें मैसेज प्राप्त हुआ। इस मैसेज में जबलपुर के मैक्स हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट को 10 हजार डोज आवंटित करने की जानकारी दी गई थी। इस नाम को पहली बार सुन रहा था। ऐसे में दो दिन तक सीएमएचओ के माध्यम से इस अस्पताल की जबलपुर में खोज की गई, पर रिकॉर्ड में इस नाम का अस्पताल नहीं मिला। इसकी सूचना भोपाल के अधिकारियों को दी गई है।
डॉ दाहिया के मुताबिक भोपाल के अधिकारियों ने किसी निजी अस्पताल या शातिर लोगों साजिश का पता लगाने संबंधी निर्देश दिया है। यह आदेश कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की कालाबाजरी की आशंका के मद्देनजर जारी किया गया है। आशंका जताई जा रही है कि कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं। भोपाल के अधिकारियों ने सीरम इंस्टीट्यूट से भी इस अस्पताल के बारे में और अधिक ब्यौरा मांगा है। हालांकि अभी तक इसके बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है
बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश में कुल छह निजी अस्पतालों ने सीरम इंस्टीट्यूट से सीधे कोवीशील्ड खरीदी है। इसमें जबलपुर, भोपाल और ग्वालियर की एक-एक तो इंदौर के तीन निजी अस्पताल शामिल हैं। प्रदेश के सभी 6 निजी अस्पतालों ने कुल 43 हजार डोज खरीदी है। इसमें जबलपुर के नाम से मैक्स हेल्थ केयर इंस्टीट्यूट ने 10 हजार डोज खरीदी है।
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली सीरम इंस्टीट्यूट और केंद्र सरकार के बीच वैक्सीन खरीदने के लिए जो अनुबंध हुआ है, उसके अनुसार राज्य सरकार को प्रति डोज 400 रुपए, प्राइवेट अस्पताल को 600 रुपए और केंद्र सरकार को 150 रुपए प्रति डोज के हिसाब से वैक्सीन मिलना है। दो दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने नई घोषणा की है, इसके मुताबिक अब केंद्र सरकार 75 प्रतिशत वैक्सीन खुद खरीदेगी। 25 प्रतिशत वैक्सीन प्राइवेट अस्पतालों को सीधे खरीदने की छूट दी गई है। पीएम ने निजी अस्पतालों को कीमत के अलावा अब 150 रुपए अधिकतम सर्विस चार्ज लेने की अनुमति दी है।
अनुबंध के मुताबिक प्राइवेट अस्पतालों को 600 रुपए प्रति डोज की दर से भुगतान करना है। इस तरह 10 हजार डोज के एवज में 60 लाख रुपए का भुगतान किया गया होगा। अब सवाल ये उठ रहा है कि इतनी बड़ी राशि लगाने वाले अस्पताल ने फर्जी एड्रस क्यों लिखवाया है। इसी सवाल ने सभी को परेशान कर रखा है। जिला टीकाकरण अधिकारी शत्रुघन दाहिया के मुताबिक प्रकरण की जानकारी जबलपुर से लेकर भोपाल और दिल्ली के अधिकारियों को दी गई है। अभी तक इस अस्पताल के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है।