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यहां बनते हैं हजारों गोबर गणेश, ये संत देते हैं प्रकृति संरक्षण का संदेश- देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Sep 22, 2018 03:43:38 pm

Submitted by:

Lalit kostha

यहां बनते हैं हजारों गोबर गणेश, ये संत देते हैं प्रकृति संरक्षण का संदेश- देखें वीडियो

ganesh ji ki murti

ganesh ji ki murti

जबलपुर। भगवान श्रीगणेश के बिना पूजन या शुभकार्य की शुरुआत नहीं हो सकती है। सनातन धर्म में लंबोदर को प्रथम पूज्य देव का दर्जा प्राप्त है। ये मंगलमूर्ति कहे जाते हैं। गणेशोत्सव के आखिरी दो दिन शेष बचे हैं। रविवार को विसर्जन होने के लिए भगवान चले जाएंगे।
वैसे तो गणेश प्रतिमाएं बहुत सी धातुओं व मिट्टी आदि से बनाए जाते हैं। लेकिन एक संत ऐसा भी है जो गाय के गोबर से गणेश बनवाते हैं। हजारों की संख्या में बनने वाले इन गोबर गणेश का विधि विधान से पूजन होता है। इसके बाद उनका विसर्जन कर खेतों में मिला दिया जाता है। इससे न केवल प्रकृति का संरक्षण होता है, बल्कि गौर गणेश की शास्त्र सम्मत पूजा भी होती है।

नर्मदा मिशन के संस्थापक समर्थ भैयाजी सरकार द्वारा दो दशक पहले इस परंपरा की नींव डाली गई थी। धीरे धीरे लोग जुड़ते गए और आज हजारों लोग पार्थिव गोबर गणेश बनाकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। भैयाजी सरकार ने बताया कि प्रतिमाओं से पहले गोबर गणेश का ही निर्माण होता था। शास्त्रों में भी गोबर गणेश का उल्लेख मिलता है। हर पूजन में गौ गोबर से गणेश ही स्थापित किए जाते हैं, तत्पश्चात कोई भी पूजन शुरू होता है।

 

समर्थ सदगुरु का एक भाव एक विचार-

गौर गणेश निर्माण की ये विशुद्ध परम्परा सदियों पुरानी है इस प्राचीन दिव्य परम्परा को गणपति महोत्सव में एक नया स्वरूप देने का हमारा एक प्रयास है। घर घर मे किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में गौर गणेश की स्थापना कर मंगलमूर्ति के पूजन का विधान है। माता के विशुद्ध गोमय गोबर से सहस्त्र गौर का निर्माण कर श्री गणेश का स्वरूप सुपाड़ी या हल्दी की गांठ रख श्री गणेश का विशुद्ध स्वरूप गौर गणेश का हम सामूहिक रूप से पूजन अर्चन एवं आराधना की इस दिव्य प्राचीन परंपरा का हम गावं नगर में स्थापित कर रहे है।गणपति महोत्सव में मंगलमूर्ति की सगुण दिव्य प्रकृति प्रधान आदर्श परम्परा इस युग सदी की आदर्श परम्परा के रूप में स्थापित हो।

गणपति के गौर गणेश स्वरूप में रिद्धि सिद्धि के संग लक्ष्मी है साथ ही असीम दैवीय सकारत्मक ऊर्जा गोमय में विधमान होती है गोमय के स्पर्श एवं गंध मात्र से अनेक प्रकार के रोग दोष दूर हो जाते है यह ऊर्जा अवरोधों को दूर करने में एवं प्रतिरक्षतात्मक तंत्र को मजबूत कर पंच तंत्र गणतंत्र को सुदृण करने में गौर गणेश निर्माण एक निर्विकल्प निर्विकार परम्परा है।

इस परम्परा की एक ओर खास विशेष बात यह है जो इस सदी के लिए वरदान साबित हो सकती है वह विसर्जन की क्रिया हजारो गौर गणेश निर्माण कर हम जब इनका विसर्जन सरोवरों में या खेत खलियानों में वृक्षों में करेंगे तो यह विसर्जन मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएगा यह रोगनाशक के रूप में सहायक होगा।

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