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18th asian games: तीरंदाजी में विजयी ‘मुस्कान’… बेटी का जलवा देख झूम उठी संस्कारधानी, देखें वीडियो

locationजबलपुरPublished: Aug 28, 2018 02:22:42 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

तीरंदाजी कंपाउंड इवेंट में मेडल जीतने वाले खिलाडियों में जबलपुर की मुस्कान भी शामिल

Archer muskan Kirar Jabalpur

तीरंदाजी कंपाउंड इवेंट में मेडल जीतने वाले खिलाडियों में जबलपुर की मुस्कान भी शामिल

जबलपुर। जकार्ता में चल रहे 18वें एशियन गेम्स के दसवें दिन तीरंदाजी कंपाउंड इवेंट में जबलपुर की मुस्कान किरार छाई रहीं। मुस्कान व उनकी टीम ने देश के खाते में सिल्वर मेडल डाल दिया। मुस्कान और उनके साथ टीम में शामिल मधुमिता कुमारी व ज्योति रेखा वेन्नम की सफलता की खुशी जबलपुर में भी छायी रही। मुस्कान व टीम के शानदार प्रदर्शन से उनके परिजनों ही नहीं पूरे शहर के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। साथी खिलाडिय़ों ने इस मौके को जमकर इंजॉय किया। जीत की खुशी पर पटाखों की गूंज बिखर गई। कमद थिरक उठे।

तीरंदाजी में जीता सिल्वर
जकार्ता में चल रहे मुकाबले में महिला टीम ने तीरंदाजी में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। भारतीय टीम कंपाउंड इवेंट के फाइनल में पहुंची थी, जहां उसका सामना दक्षिण कोरिया से हुआ। मधुमिता कुमारी, मुस्कान किरार और ज्योति सुरेखा वेन्नम की तिकड़ी ने फाइनल में 228 का स्कोर बनाया। उसे सिल्वर मेडल मिला। यह गेम्स के 10वें दिन भारत का पहला और कुल 42वां मेडल है। देश को मेडल दिलाने वालों में जबलपुर की बेटी मुस्कान भी शामिल है

बनी हम सबकी लाड़ली
दो साल पहले मध्यप्रदेश तीरंदाजी एकेडमी जबलपुर में एक छोटी सी ‘मुस्कान’ आई। पहली बार जब धनुष हाथ में उनके आया, तो तरकश पर तीर भी ठीक से नहीं बैठ रहा था, लेकिन मुस्कान डटी रहीं। इसके बाद एक दिन लक्ष्य सटीक लगा और मुस्कान की सफलता की कहानी ने यहीं से रंग लेना शुरू कर दिया, जो अब पूरे देश और दुनिया में छा गया है। जबलपुर में सघन आबादी से घिरे साठिया कुआं के समीप रहने वाली मध्यम वर्गीय परिवार की 17 वर्षीय मुस्कान किरार प्रदेश की इकलौती तीरंदाज बनीं, जिन्होंने जकार्ता में चल रहे एशियन गेम्स में चाइनीज खिलाड़ी तापसे को हराकर फाइनल में जगह बनाई और संस्कारधानी के साथ प्रदेश और देश का नाम रोशन किया। लाड़ली पर सभी को नाज है।

बहन ने भी संजोया सपना
मुस्कान की छोटी बहन सलौनी भी तीरंदाजी की खिलाड़ी है। बड़ी बहन की तरह वह भी देश का नाम रोशन करने का ख्वाब संजोए हुए है। बड़ी बहन को टीवी स्क्रीन पर देखते हुए सलौनी कहती हैं, बड़ी दीदी से अभी बहुत कुछ सीख रही हूं। सलौनी ने हाल ही में भुवनेश्वर में हुई तीरंदाजी प्रतियोगिता में मेडल जीता है।

सवा दो साल पहले शुरुआत
मुस्कान के पिता वीरेन्द्र किरार बताते हैं, उन्होंने लगभग सवा दो साल पहले अखबार में तीरंदाजी के लिए खिलाडिय़ों के चयन के लिए विज्ञापन देखा। इसके बाद मुस्कान को उस चयन प्रक्रिया में भेजा। भारतीय तीरंदाजी संघ के सह सचिव डीके विद्यार्थी ने बताया, चयनित होने के बाद मुस्कान ने पीछे मुडकऱ नहीं देखा और लगातार उसके कदम ऊचांईयों की ओर बढ़ते रहे। बेटी की जीत से मां माला की आंखों में भी खुशी के आंसू छलक पड़े।

आठ अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं
कोच रिचपाल सिंह सरालिया ने बताया, दो वर्षों में मुस्कान ने उस मुकाम को हासिल किया, जिसे पाने में खिलाडिय़ों को वर्षों लग जाते हैं। मुस्कान ने आठ अंतराष्ट्रीय और तीन राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और मेडल जीते। दो माह पहले मुस्कान जर्मनी गई थी, जहां से लौटने के बाद सोनीपथ में उसने दो माह तक कड़ा प्रशिक्षण हासिल किया और फिर एशियन गेम्स के लिए जकार्ता रवाना हुई हैं। वहां भी मुस्कान ने अपनी विजयी मुस्कान का जलवा दिखाया है।

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