जबलपुर। आज से शारदेय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। हम पूरे नौ दिन मां के
शक्ति स्वरूपों का पूजन-अर्चन और दर्शन करेंगे। जबलपुर में नवरात्र और दशहरे से जुड़ी एेतिहासिक यादें जहां हमें गौरवान्वित करती हैं, वहीं समय के साथ शहर के विकास में निरंतर जुड़ते जा रहे कई आयाम हमें इस पर इतराने का भी मौका देते हैं। कुछ ने समय के साथ अपने दायरे बढ़ाकर शहर की पहचान को और चमकदार कर दिया है, तो कुछ की रंगत अव्यवस्थाओं ने फीकी कर दी है। शहर की पहचान बन चुकी इन नौ शक्तियों के आगे सब नतमस्तक है। लेकिन जरूरत उन्हें संवारने की है। आइए हम मिलकर इस नवरात्र में इन शक्तियों को संवारने का संकल्प लें…
एजुकेशन हब की राह करें आसानमहाकौशल का केंद्र बिंदु संस्कारधानी शिक्षाधानी के रूप में प्रदेश में स्थापित है। सबसे अधिक चार विश्वविद्यालयों के साथ कई उच्च शिक्षण संस्थान एवं ब्रिटिश कालीन स्कूल-कॉलेज भी हैं। तीन लाख से अधिक छात्र हर साल शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हर साल 20 हजार और नए छात्र
रोजगार पाठ्यक्रम की तलाश में दूसरे शहरों को पलायन कर रहे हैं।
शिक्षा और तकनीक में आगे बढ़ेंडिफेंस, टैक्सटाइल,
फैशन डिजाइनिंग, आईटी सेक्टर से जुड़े नए तकनीकी कोर्स शुरू करने होंगे
न्यायधानी है, लेकिन शहर में एक भी लॉ यूनिवर्सिटी नहीं है
पयर्टको को आकर्षित करने के ढेरों विकल्प हैं, लेकिन टूरिस्ट गाइड और विदेशी लैंग्वेज की अ’छी पढ़ाई नहीं है
वेटरनरी और कृषि विवि में स्थानीय संसाधनों के बेहतर
उपयोग सम्बंधी रिसर्च का भी अभाव
रक्षा संस्थानों की लौटानी होगी रंगतशहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली आयुध निर्माणियों को पुरानी रंगत में लौटाने का संकल्प लेना होगा। निर्माणियों से उत्पादित होने वाले रक्षा सामग्रियों का निजी क्षेत्र से उत्पादन इसकी शक्ति को क्षीण कर रहा है। जनप्रतिनिधियों सहित सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इस पहचान को कायम रखने और इसे शहर की अर्थव्यवस्था की धुरी बनाने की जरूरत है।
अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाने का लें संकल्पआयुध निर्माणियों में रक्षा उत्पादन बढ़ाने होंगे
निजी क्षेत्र की अन्य रक्षा उत्पादन इकाइयों को भी संस्कारधानी में लाने की कोशिश करनी होगी
रक्षा उत्पादन से शहर की अन्य औद्योगिक इकाइयों को भी जोडऩा होगा
इस तरह के यहां प्रशिक्षण कराए जाएं और औद्योगिक संचालकों को मोटिवेट किया जाए
खेलों में फिर जमानी होगी अपनी धाकसंस्कारधानी की पहचान खेलधानी के भी रूप में होती रही है। इस माटी ने देश को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए। हॉकी, तैराकी, बॉक्सिंग, तीरंदाजी, वूशू, निशानेबाजी व बास्केटबॉल में हमारी ताकत का लोहा सभी मानते हैं। समय की परतों ने कुछ खेलों में भले ही हमें पीछे कर दिया, लेकिन नए खेलों में नए खिलाडि़यों की चमकदार उपस्थिति से संस्कारधानी में खेलों का भविष्य सुनहरा है। जरूरत है बस संसाधनों की खुराक देकर उसे और पल्लवित पुष्पित करने की जरूरत है।
सोना जीतने का लें संकल्पशहर में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम की जरूरत है
खिलाडि़यों को विभिन्न खेलों में प्रचुर संसाधन उपलब्ध कराए जाएं
खिलाडि़यों को उ”ा स्तर का प्रशिक्षण और कोच की नियुक्ति की जाए
स्कूल-कॉलेज में स्पोटर्स गतिविधियों को बढ़ावा मिले
शक्तिभवन की शक्ति फिर हो कायमजबलपुर प्रदेश का पावर हाउस है। कभी संस्कारधानी से प्रदेश का ये पावर संचालित होता था। अब भी मैनेजमेंट, ट्रांसमिशन, जनरेशन और पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण का मुख्यालय होने से इसकी शक्ति में बहुत अधिक फर्क नहीं पड़ा है। लेकिन शक्तिभवन की शक्ति बरकरार रहे, इसके लिए हम इस नवरात्र हम मिलकर संकल्प लें।
पावर से बढ़ाएं जॉबप्रदेश का बिजली मुख्यालय होने की से यहां बिजली आधारित उद्योग-धंधें स्थापित करने होंगे। आईटी व अन्य पेशेवर कर्मियों की जरूरत पूरी करने के लिए एेसे कोर्स तैयार करने होंगे। कृषि पैदावार बढ़ाने और बिजली आधारित कुटीर उद्योग धंधों का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना होगा। बिजली
तंत्र को तकनीकी तौर पर अत्याधुनिक बनाना होगा।
बिखरती स्वास्थ्य सेवाओं को करें बेतहर महाकोशल में जबलपुर मेडिकल हब बनता जा रहा है। प्रदेश की पहली मेडिकल यूनिवर्सिटी हो या अन्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थान। कई गंभीर बीमारियों का इलाज यहां संभव है। विदेशों से लोग यहां इलाज को आते हैं। कई बार इंटरनेट के जरिए विदेशी डॉक्टरों ने यहां के विशेषज्ञों की मदद से ऑपरेशन किए हैं। इस चमकदार तस्वीर के स्याह पहलू की बानगी ग्रामीण क्षेत्रों में दिखती है। हमें संकल्प लेना होगा कि शहर व ग्रामीण की खाई को हम पाट कर जिले को स्वास्थ्य सेवाओं का उत्कृष्ट मॉडल बनाएंगे।
डॉक्टरों की तैनाती बढ़ानी होगीमझौली, पाटन, पनागर, कुंडम, शहपुरा में सीएचसी और 21 पीएचसी को बेहतर करना होगा
ग्रामीण क्षेत्र में स्वीकृत डॉक्टरों के 74 पदों को भरना होगा
जिला अस्पतालों को संसाधनों से लैस कर मेडिकल का बोझ बांटना होगा
वेंटीलेटर की संख्या बढ़ाने सहित स्पाइन इंÓयुरी सेंटर को शहर की पहचान बनानी होगी।
पर्यटन हब बनने की क्षमता धुंआधार से लेकर बंदरकू दनी जैसे प्राकृतिक रमणीय स्थल हैं, तो चौसठ योगिनी मंदिर, मदनमहल किले जैसी विरासत मिली है। शहर के चारों तरफ बिखरी ये खूबसुरती देश और बॉलीवुड दोनों को संगमररी वादियों में खींच लाती है। जरूरत है पर्यटन सुविधाओं को व्यवस्थित करने की। जबलपुर के एेतिहासिक महत्व और पुरातात्विक अवशेषों को संवारने की।
पर्यटन को बनाएं बेरोजगारी दूर करने का जरियाशहर और आसपास स्थित महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों को सहुलियतों और सुविधाओं से विकसित करना होगा
भेड़ाघाट, बरगी, डुमना, मदनमहल पहाड़ी व किले को संवारना होगा
ठाकुरताल, संग्राम सागर, शहर की बावडि़यों, बैलेंसिंग रॉक
में पयर्टन सुविधाएं बढ़ानी होंगी
सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों को व्यवस्थित कर
पयर्टन का आधार बनाना होगा
लघु उद्योग को बनाना होगा आधारशहर को सशक्त बनाने में यहां के लघु उद्योगों का अहम योगदान रहा है। यहां के लघु उद्योग देश के लिए मिसाल थे। बीड़ी उद्योग व लिÓÓात पापड़ ने देश में पहचान दिलाई। गारमेंट्स निर्माण ने रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए। गारमेंट क्लस्टर इस दिशा में एक बड़ा कदम है। हमें संकल्प करना होगा कि लघु उद्योगों की अकूत ताकत को बरकरार रखने का हरसंभव उपाय करेंगे।
तकनीकी-वित्तीय मदद दिलाने का लें संकल्पयहां के लघु उद्यामियों को प्रशिक्षित कराने की व्यवस्था की जाए
नए-नए लघु उद्योग से जुड़े संयंत्र स्थापित करने पर वित्तीय मदद दी जाए
स्टार्टअप की मदद से गारमेंट क्लस्टर को और आगे ले जाना होगा
राजनीतिक व प्रशासनिक स्तर पर भी नए उद्योग स्थापित करने का दबाव बनाया जाए
नर्मदा-तालाब और बावडि़यां ये हैं हमारी ताकतनर्मदा नदी का मनोरम किनारा, परियट और खंदारी जैसे समृद्ध जलाशय और तालाब हमारी ताकत हैं। शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए 230 एमएलडी की उपलब्धता है। लेकिन इस ताकत को हम संजो नहीं पाए। बेकद्री भी एेसी की हम तालाबों और बावडि़यों को भी संरक्षित नहीं कर पाए। कम बारिश ने पेयजल का संकट ला खड़ा कर दिया तो भूजलस्तर को भी हम प्रदूषित करते जा रहे हैं। इस नवरात्र हमें अपने जलाशयों और नर्मदा को संरक्षित और प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लेना होगा।
पेयजल की उपलब्धता बरकरार रखने का लें संकल्पनर्मदा में मिलने वाले नालों को बंद कर प्रदूषण से बचाना होगा
तालाबों और बावडि़यों को संरिक्षत करना होगा
पानी की बर्बादी रोकने के लिए रिसाइकिल प्लांट लगाने होंगे
द्द पेयजल की उपलब्धता को शहर विकास का पैमाना बनाना होगा
खनिज सम्पदा को बनाएं विकास का पहियाजबलपुर और आसपास प्रकृति ने अपार खनिज सम्पदा लुटाई है। जिले की खदानों से निकाले जा रहे आयरन ओर से चीनी कम्पनियां मालामाल हो रही हैं। बॉक्साइट और दूसरी खनिज सम्पदा भी भरपूर मात्रा में हैं। इससे जिले को राजस्व के रूप में हर साल करोड़ों रुपए तो मिल रहे हैं, लेकिन अपनी इस ताकत का दोहन हम यहां की बेरोजगारी को दूर करने के लिए नहीं कर पा रहे हैं। इस नवरात्र हमें संकल्प लेना होगा कि यहां के खनिज सम्पदा हमारे विकास का पहिया बन संस्कारधानी के जीवनरूपी पहिए की गति बढ़ा सकें।
खनिज आधारित उद्योग लगाने होंगेआयरन ओर और दूसरे खनिज उत्पादों से सम्बंधित उद्योग लगाने होंगे
खनिजों से सम्बंधित रिसर्च करने होंगे और इससे जुड़े प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करने होंगे
खनिजों से मिल रहे राजस्व का कुछ प्रतिशत शहर के विकास में खर्च करने की नीति बनानी होगी
यहां के खनिज का जिले में उपयोग होने से बेरोजगारी तो दूर होगी ही पलायन भी रुकेगा