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जबलपुर

शोध में खुलासा: कोरोना की एंटीबॉडी से बच्चों के अंगों पर नुकसान का बढ़ा खतरा

शोध में खुलासा: कोरोना की एंटीबॉडी से बच्चों के अंगों पर नुकसान का बढ़ा खतरा

जबलपुरJan 22, 2021 / 03:41 pm

Lalit kostha

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भारत में कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम की हुई थी सबसे मजबूत शुरुआत।

दीपंकर रॉय@जबलपुर। कोरोना की जकड़ में आने वाले बच्चों के शरीर में बन रही एंटीबॉडी से उनके अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। जांच और उपचार में देरी से यह जानलेवा हो सकती है। यह जानकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल में भर्ती बच्चों पर किए गए शोध में सामने आई है। कॉलेज में पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच 46 कोरोना संक्रमित बच्चों पर किए गए शोध में 11 बच्चे मल्टी सिस्टम इन्फलामेटरी सिंड्रोम (एमआइएस-सी) से पीडि़त मिले हैं। पोस्ट कोविड इफेक्ट और एंटीबॉडी से बच्चों के शरीर के अंग प्रभावित होने और उनमें गम्भीर बीमारी का पता चला है। दिमागी बुखार, कावासाकी बुखार और लकवा जैसे रोग मिले हैं। शिशु रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्वेता पाठक की इस रिसर्च को पीडियाट्रिक ऑन कॉल जर्नल ने प्रकाशित किया है।

मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल में भर्ती 46 संक्रमित बच्चों पर रिसर्च
शिशु रोग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. श्वेता पाठक की रिसर्च पीडियाट्रिक ऑन कॉल जर्नल ने की प्रकाशित

 

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बच्चों को भी बराबर का है खतरा
मेडिकल के शिशु रोग विभाग में कोरोना काल में भर्ती बच्चों पर किए गए शोध में पता चला है कि बच्चों को भी कोविड-19 वायरस का बराबर खतरा और नुकसान है। इन्हें भी संक्रमण से बचाव के हर उस सुरक्षा उपाय की आवश्यकता है, जो युवा और बुजुर्ग बरत रहे हैं। शोध में पाया गया है कि 70 फीसदी बच्चों को उनके नजदीकी व्यक्तियों और 50 फीसदी मां के सम्पर्क में रहने से संक्रमित हुए हैं।


कोरोना काल में भर्ती संक्रमित बच्चों की स्टडी की गई है। इसमें एचओडी डॉ. अव्यक्तअग्रवाल, डॉ. मोनिका लाजरस, डॉ. पवन घनघोरिया का निर्देशन व डॉ. प्रतिभा, रवि, डॉ. अखिलेंद्र, डॉ. आशा ने सहयोग किया। अस्पताल में लगभग नौ महीने में भर्ती संक्रमित बच्चों की जांच में 11 बच्चे अति गम्भीर मिले हैं। कुछ बच्चों में दिमागी व कावासाकी बुखार और पैरालिसिस जैसे लक्षण मिले हैं। पाया गया कि कोविड एंटीबॉडी बच्चों के शरीर के टिश्यू (जैसे हार्ट, ब्रेन, तंत्रिका तंत्र) को डैमेज कर रहे हैं। ज्यादातर बच्चे एमआइएस-सी से पीडि़त हैं। उन्हें किसी नजदीकी से ही कोरोना हुआ है। इसलिए बच्चों के लिए भी कोरोना से बचाव के लिए उतनी ही सुरक्षा और जागरुकता आवश्यक है, जितनी बड़े लोग रख रहे हैं।
– डॉ. श्वेता पाठक, असिसटेंट प्रोफेसर, एनएससीबीएमसी मेडिकल कॉलेज

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