scriptशहर में 350 गार्डेन, करोड़ों का बजट भी, फिर भी मनोरंजन के पर्याप्त साधन नहीं | 350 gardens in the city, still not enough means of entertainment | Patrika News

शहर में 350 गार्डेन, करोड़ों का बजट भी, फिर भी मनोरंजन के पर्याप्त साधन नहीं

locationजबलपुरPublished: Jun 18, 2019 07:54:35 pm

Submitted by:

praveen chaturvedi

शहर में नगर निगम के साढ़े तीन सौ से ज्यादा उद्यान हैं। इनकी देखभाल और विकास के लिए अलग से उद्यान विभाग भी है। सालाना करोड़ों रुपए का बजट है। इसके बाद भी 18 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में एक भी उद्यान क निगम के जिम्मेदार आदर्श स्वरूप में विकसित नहीं कर सके।

civic center garden

civic center garden

जबलपुर। शहर में नगर निगम के साढ़े तीन सौ से ज्यादा उद्यान हैं। इनकी देखभाल और विकास के लिए अलग से उद्यान विभाग भी है। सालाना करोड़ों रुपए का बजट है। इसके बाद भी 18 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में एक भी उद्यान क ो निगम के जिम्मेदार आदर्श स्वरूप में विकसित नहीं कर सके। किसी उद्यान में पौधे ही नहीं हैं तो कहीं बच्चों के लिए झूला और मनोरंजन के साधन नदारद हैं। जिन उद्यानों में पहले आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किए गए थे, वे भी क्षतिग्रस्त होते जा रहे हैं। बीच शहर सहित अन्य इलाकों के उद्यानों का भी यही हाल है।

शहर के एक-दो उद्यानों को छोड़ दिया जाए तो शेष में लोगों के बैठने के लिए कुर्सियां ही नहीं हैं। सफाई नहीं होने से हर तरफ कचरा फैला हुआ है। पानी निकासी की व्यवस्था नहीं होने से हाल ही में हुई बारिश से कीचड़ मच गया है।

30 साल से नहीं हुए विकास कार्य
शैलपर्ण उद्यान को तीन दशक पहले जेडीए ने विकसित किया था। उस दौरान पहाड़ी में वृहद स्तर पर पौधरोपण करने से लेकर झूला समेत बच्चों के मनोरंजन के अन्य साधन विकसित किए गए थे। इसके बाद प्राधिकरण उद्यान का संचालन ठेके के माध्यम से करता रहा। इस दौरान जेडीए ने उद्यान को आय का जरिए तो बनाया, लेकिन विकास का कोई भी नया काम नहीं किया। 6 महीने पहले ये उद्यान जेडीए ने निगम सुपुर्द कर दिया। इसके बाद से उद्यान को संवारना तो दूर प्रवेश द्वार पर अंकित जेडीए का नाम भी नहीं हटाया गया।

भंवरताल में झूले नहीं
भंवरताल उद्यान को संवारने के नाम पर निगम ने करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। लैंड स्केपिंग से लेकर स्केटिंग रिंग, घास लगाने, नई बाउंड्रीवॉल व रैलिंग लगाने समेत कई काम किए गए। लेकिन शहर के बीचों बीच स्थित इस उद्यान में बच्चों के लिए झूले नहीं हैं। पहले ये उद्यान बच्चों के मनोरंजन के साधनों के लिए पहचाना जाता था।

उजड़ गया सिविक सेंटर उद्यान
सिविक सेंटर स्थित उद्यान की बदहाली देखकर शहरवासी हैरान रह जाते हैं। शहर के हृदयस्थल में मौजूद उद्यान की घास सूख चुकी है। उद्यान की रैलिंग टूट गई। जब तक उद्यान जेडीए के पास था, बेहतर रखरखाव किया गया। लेकिन उद्यान निगम को सुपुर्द किए जाने के बाद उजड़ गया।

इस सम्बंध में निगमायुक्त आशीष कुमार कहना है कि उद्यानों के बेहतर रखरखाव और आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो