ये है मामला
सिटी सर्किल के दक्षिण सम्भाग के पुरवा कार्यालय में लाइनमैन सुखदेव कुशवाहा पदस्थ थे। इसी कार्यालय में ठेके पर ऑपरेटर के पद पर उनका बेटा आशीष कुशवाहा भी कार्यरत है। दोनों ने मिलकर अप्रैल 2017 से फर्जीवाड़ा शुरू किया। अप्रैल 2017 में रिटायर हुए कार्यालय के लिपिक गनपत सिंह ठाकुर का ईआरपी का आईडी पासवर्ड चुराया। उस वक्त गनपत ईआरपी के प्रभारी थे। आईडी पासवर्ड चोरी करने के बाद पिता पुत्र उपभोक्ताओं की रकम स्वयं डकारने लगे। इस सिस्टम पर राजस्व वसूली अपडेट की जाती है। इसके लिए सभी को अलग अलग आईडी पासवर्ड जारी किए गए हैं। गनपत के रिटायर होने के बाद भी उनकी आईडी पासवर्ड बंद नहीं हुई। आशीष ने इसी का फायदा उठाते हुए पिता के साथ मिलकर गनपत सिंह की आईडी पासवर्ड के माध्यम से वसूली कर रकम हजम कर ली।
फर्जी रसीद के जरिए किया फर्जीवाड़ा
जमा होने वाले बिल की राशि लाइनमैन सुखदेव खुद रख लेता था। इसके एवज में एमपी ऑनलाइन और दूसरे भुगतान वाले विकल्पों की फर्जी रसीद बनाकर ईआरपी सिस्टम में अपलोड कर देता था। इस तरह लगभग 10 महीने में 40 लाख से अधिक का गबन किया। गनपत की आईडी पासवर्ड का इस्तेमाल होने से दोनों पर किसी को शक नहीं हो रहा था। कुछ समय पहले सिटी सर्किल के अधिकारियों ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा। पत्र के जरिए मामले में धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की गई। यह पत्र लेकर स्वयं एक अधिकारी पुलिस अधीक्षक के पास पहुंचे। उस वक्त तक विभागीय जांच पूरी नहीं हुई थी, न ही उसका कोई निष्कर्ष निकला था, जिसके चलते मामले को नहीं लिया गया।
एई की भूमिका भी संदिग्ध
पूरे मामले में तत्कालीन एई की भूमिका भी संदिग्ध थी। मामले में एई को निलंबित कर दिया गया। जिसके बाद जांच शुरू की गई। सूत्रों की माने तो आला अधिकारियों ने जांच में अधिकारियों को बचा लिया था।
गढ़ा पुरवा में हुए 40 लाख के गबन के मामले की जांच की समीक्षा की जा रही है। जांच में कुछ तथ्य समाहित नहीं किए गए, वहीं कुछ तथ्य स्पष्ट नहीं हो रहे हैं। आवश्यकता पडऩे पर मामले की नए सिरे से दोबारा जांच कराई जाएगी।
प्रकाश दुबे, चीफ इंजीनियर, जबलपुर सम्भाग