इसी ट्रेन में बालाघाट के भी लगभग 200 से अधिक श्रमिक सवार हुए। यह श्रमिक सात बसों के जरिए शाम लगभग सात बजे मुख्य रेलवे स्टेशन पहुंचे। स्टेशन के बाहर बसों से उतरने के बाद श्रमिकों से लाइन लगवाई गई, जिसके बाद उन्हें टिकट बेचा गया। सभी श्रमिकों की स्क्रीनिंग की गई, जिसके बाद उन्हें ट्रेन में सवार होने दिया गया। ट्रेन निर्धारित समय से लगभग 50 मिनिट याने की 7.50 बजे रवाना हुई। इसके पूर्व एक बस से मंडला के भी श्रमिक जबलपुर आए थे। जो इसी ट्रेन में सवार होकर बिहार रवाना हुए।
ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर खड़े होने के पहले ही स्टेशन और आसपास के इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया। स्टेशन आने-जाने वाले प्रत्येक मार्ग पर बेरीकेटिंग की गई और जिला पुलिस का बल तैनात किया। यहां से केवल उन्हीं लोगों को प्रवेश दिया गया, जो ट्रेन में यात्रा करने वाले थे। अनाधिकृत व्यक्तियों को वहां से वापस भेज दिया गया। इतना ही नहीं प्लेटफार्म पर भी सुरक्षा सख्त रही। यहां भी सशस्त्र पुलिस बल के अलावा आरपीएफ और जीआरपी का अमला तैनात रहा। प्रत्येक कोच के प्रवेश द्वार पर भी रेलवे अधिकारी तैनात रहे। बिना वजह किसी को भी ट्रेन से उतरने नहीं दिया जा रहा था।
टेंट गिरने से मची अफरातफरी
जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए टेंट में अधिकारी कर्मचारी बैठे हुए थे। एक टेंट रिजर्वेशन बिल्डिंग से सटा हुआ लगा था। यह टेंट रस्सी से बंधा हुआ था। इस दौरान पुलिस लाइन की बस वहां से गुजरी, जिसके चलते रस्सी टूट गई और टेंट भरभराकर गिर गया, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। बाद में इस टेंट से भी खाना और पानी बांटने समेत टिकट बेची गई।
खाने की पड़ गई थी मुसीबत
अधारताल के दुर्गा नगर में रहने वाले मोहम्मद मुश्ताक भी अपने दो बेटों के साथ इस ट्रेन से बिहार गए। लकवा लगने के कारण चल फिर पानें में असमर्थ मुश्ताक को उनके दोनों बेटों द्वारा गोद में उठाया गया और फिर वे उन्हें लेकर ट्रेन तक पहुंचे। मुश्ताक के बेटे मोहम्मद एहतेशाम ने बताया कि वह यहां पढ़ाई करता है, पिता और भाई मोहम्मद अनवर जरी का काम करते थे, स्वास्थ्य खराब होने के बाद पिता ने यह काम बंद किया। अनवर के पास भी काम नहीं था। जिस कारण वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। खाने तक के लाले पड़ गए, जिस कारण उन्हें अपने घर लौटना पड़ रहा है।
शरबत पिलाया, सेनेटाइज भी किया
इस दौरान संत निरंकारी मिशन के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा एक स्टॉल लगाया गया, जिससे ट्रेन में सवार होने वाले सभी श्रमिकों को शरबत पिलाया गया। एक अन्य स्वयं सेवी संगठन द्वारा श्रमिकों को मठा भी पिलाया गया।