30 दिनों में डिजिटली भुगतान करने के निर्देश
जबलपुर
Published: November 20, 2021 07:19:45 pm
जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने कहा कि बिना किसी गलती के कर्मचारी को सैलरी डिफरेंस से वंचित रखना अनुचित है। जस्टिस शील नागू व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की डिवीजन बेंच ने इसके लिए हाईकोर्ट प्रबंधन पर 5 हजार रु कॉस्ट लगाई। कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन को निर्देश दिए कि कॉस्ट की राशि आवेदक को 30 दिन के भीतर डिजिटली भुगतान की जाए । हाईकोर्ट प्रशासन को एक माह में रोके गए वेतन की राशि 10 फीसदी ब्याज के साथ अदा करने के भी निर्देश दिए गए। जबलपुर निवासी प्राची पांडे की ओर से यह याचिका दायर की गई। अधिवक्ता आदर्श हीरा एवं शांतनु अयाची ने कोर्ट को बताया कि प्राची हाईकोर्ट में पर्सनल असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। हाईकोर्ट ने 30 अक्टूबर 2018 को उनसे जूनियर रश्मि रोनाल्ड विक्टर को प्रमोशन दे दिया। इस पर हाईकोर्ट प्रशासन को तुरंत अभ्यावेदन दिया गया। अंतत: डीपीसी हुई और 25 अगस्त 2019 को याचिकाकर्ता को सीनियर पर्सनल असिस्टेंट के पद पर प्रमोशन दिया गया। लेकिन प्रमोशन देने के बाद हाईकोर्ट प्रशासन ने एक साल की वेतनवृद्धि प्रदान करने से इनकार कर दिया। अधिवक्ताद्वय ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायदृष्टांत पेश करते तर्क दिया कि वेतन अंतर का भुगतान तभी रोका जा सकता है जब कर्मचारी की कोई गलती हो जिस कारण उसका प्रमोशन देरी से किया गया है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में कर्मचारी की कोई गलती नहीं है। इसलिए वह वेतन अंतर पाने की अधिकारी है। यह कहते हुए कोर्ट ने याचिका निराकृत कर दी।
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