धूल का गुबार
जिले में एनएच 12 की सीमा अंधुआ से शुरू होकर मेरे गांव में पूरी होती है। सड़क चौड़ीकरण का प्रोजेक्ट शुरू होने के पहले तक दोनों ओर लगे सालों पुराने पेड़ कवज़् बनाते थे। जिनके कारण राहगीरों को धूल की ज्यादा समस्या नहीं होती थी। लेकिन पेड़ों के कट जाने के बाद अब मागज़् पर धूल का गुबार इतना बढ़ गया है कि पैदल चलना या दोपहिया वाहन का सफर आसान नहीं है। पयाज़्वरणविद् एबी मिश्रा के अनुसार सड़क चौड़ीकरण के लिए जो पेड़ काटे जा रहे हैं उनके मुकाबले दस गुना पौधे लगाने का प्रावधान है। इसका कारण है कि अगर दस पौधे लगाते हैं तो विकसित होकर उनमें से केवल एक पौधा ही बच पाता है। इसी लिए पौधरोपण में विकास के इस सिद्धांत का पालन करतना होता है, लेकिन उनमें अब तक एनएच 12 के किनारे पौधरोपण का एक्शन प्लान भी तैयार न होना हैरान करने वाला है।
यह है स्थिति
-55 किलोमीटर जिले में एनएच 12 की सीमा
-38 गांव जिले में शामिल
-04 हजार से ज्यादा पेड़ काटे गए सड़क के दोनों ओर
-06 हजार कुल पेड़ काटे जाने हैं जिले की सीमा में
-07 साल पहले प्रोजेक्ट की हुई थी शुरुआत
-100 से 150 साल तक पुराने पेड़ काटे गए
जिले में एनएच 12 की सीमा अंधुआ से शुरू होकर मेरे गांव में पूरी होती है। सड़क चौड़ीकरण का प्रोजेक्ट शुरू होने के पहले तक दोनों ओर लगे सालों पुराने पेड़ कवज़् बनाते थे। जिनके कारण राहगीरों को धूल की ज्यादा समस्या नहीं होती थी। लेकिन पेड़ों के कट जाने के बाद अब मागज़् पर धूल का गुबार इतना बढ़ गया है कि पैदल चलना या दोपहिया वाहन का सफर आसान नहीं है। पयाज़्वरणविद् एबी मिश्रा के अनुसार सड़क चौड़ीकरण के लिए जो पेड़ काटे जा रहे हैं उनके मुकाबले दस गुना पौधे लगाने का प्रावधान है। इसका कारण है कि अगर दस पौधे लगाते हैं तो विकसित होकर उनमें से केवल एक पौधा ही बच पाता है। इसी लिए पौधरोपण में विकास के इस सिद्धांत का पालन करतना होता है, लेकिन उनमें अब तक एनएच 12 के किनारे पौधरोपण का एक्शन प्लान भी तैयार न होना हैरान करने वाला है।
यह है स्थिति
-55 किलोमीटर जिले में एनएच 12 की सीमा
-38 गांव जिले में शामिल
-04 हजार से ज्यादा पेड़ काटे गए सड़क के दोनों ओर
-06 हजार कुल पेड़ काटे जाने हैं जिले की सीमा में
-07 साल पहले प्रोजेक्ट की हुई थी शुरुआत
-100 से 150 साल तक पुराने पेड़ काटे गए