कक्षा एक आठ प्राइवेट स्कूल की स्थिति -139345 कुल छात्र -126008 की मेपिंग -13337 छात्र अन मेप्ड सरकारी स्कूल की स्थिति -140563 कुल छात्र -122104 की मेपिंग -18459 छात्र अन मेप्ड
कक्षा 9 से 12 की स्थिति: प्राइवेट स्कूलों की स्थिति -56357 कुल छात्र -45797 की मेपिंग -10560 छात्र अनमेप्ड सरकारी स्कूलों की स्थिति : -52831 कुल छात्र -34364 छात्रों की मेपिंग
-18467 छात्र अनमेप्ड जबलपुर। अफसरों की लापरवाही एवं विभागीय उदासीनता के चलते सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले करीब 60 हजार 823 स्कूली छात्र इस बार मेप्ड नहीं हो सके हैं। जबकि यह काम मई में ही पूरा हो जाना था ताकि नवीन शिक्षण सत्र शुरू होने के पहले ऐसे छात्रों की प्रोफाइल तैयार की जा सके। लेकिन छात्रों के मेप्ड न होने के कारण इनकी प्रोफाइल भी अधर में फंस गई है। बताया जाता है जिले में प्राइवेट स्कूलों के जहां 23 हजार 897 छात्रों की मेपिंग नहीं हो सकी है तो वहीं सरकारी स्कूलों के करीब 37 हजार छात्र शेष बचे हैं। एक और जहां विभाग प्राइवेट स्कूलों द्वारा सहयोग न किए जाने की बात कह रहा है तो वहीं दूसरी और स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश होने के कारण बच्चों के न मिलने की भी बात कही जा रही है।
प्राइमरी से हायर सेकेंडरी बच्चे शामिल बताया जाता है जिले के शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों में कक्षा एक से बारह तक में पढऩे वाले करीब 3 लाख 90 हजार छात्र-छात्राओं की मेपिंग की जानी थी जिसमें से 3 लाख 28 हजार 273 छात्र ही मेप्ड हो सके हैं। जिले के किसी भी विकासखंड में सौ फीसदी मेपिंग का काम पूरा नहीं हो सका है। अब हजारों की संख्या में छूटे छात्रों की प्रोफाइल तैयार करने में विभाग आनन फानन में फिर से कवायद कर रहा है।
क्या है मेपिंग दरअसल नए शिक्षण सत्र के दौरान बड़ी संख्या में छात्र नई कक्षाओं में प्रवेश लेते हैं। इनमें से कई छात्र स्कूल बदल लेते हैं या फिर जिले से बाहर जाकर भी पढऩे लगते हैं। ऐसे छात्रों की प्रोफाइल शासन स्तर पर तैयार कराई जाती है। इसमें बच्चे का नाम, उसकी उम्र, शिक्षा, स्कूल, डाइस कोड, अभिभावक की जानकारी, समग्र आईडी आदि की जानकारी अपडेट करनी होती है। इसके आधार पर ही जिले में छात्रों की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जाता है।
-स्कूल बंद होने एवं छात्रों के बाहर रहने के कारण मेपिंग में कुछ समस्या आई है। हालांकि शहरी क्षेत्र में 75 फीसदी काम पूरा हो चुका है। जो स्कूल शेष रह गए हैं उनमें तेजी से काम कराने के लिए प्राचार्यों को निर्देशित किया गया है।
-अंजना सेलट, ब्लाक एजुकेशन ऑफीसर