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PM मोदी की पहल पर अफ्रीका के गांवों में चरने गईं एमपी की 70 गायें, अजब है मामला

locationजबलपुरPublished: Dec 30, 2018 02:56:03 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

डेयरी फार्म से आफ्रीका भेजी गई 70 गायें

cows exported from India to south africa

डेयरी फार्म से आफ्रीका भेजी गई 70 गायें

जबलपुर। शहर के मिलिट्री डेयरी फार्म की करीब 70 गायों को वाया मेरठ दक्षिण अफ्रीका भेजा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गिरिनका कार्यक्रम के तहत इन गायों के माध्यम से अफ्रीका के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश की जा रही है। अब फार्म बंद होने की स्थिति में यहां की गायों को प्रदेश शासन के पशुपालन विभाग के माध्यम से किसानों को दिया जा रहा है। करीब 14 सौ गायों को किसानों को दिया जा चुका है। अब केवल वे गाय फार्म में हैं, जिन्हें आसपास भेजा जाना है।

30 लीटर से अधिक दूध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2018 में जब दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए थे, तब गिरिनका कार्यक्रम के तहत भारत की गायों को वहां के रवांडा क्षेत्र के गांव में वितरण की बात कही थी। सेना फार्म से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यहां से आइसीआर के प्रोजेक्ट के तहत कुछ समय पहले 70 गाय मेरठ भेजी गई थीं। शाहीवाल प्रजाति की इन गायों से 30 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन किया जाता था। वहां से इन्हें दक्षिण अफ्रीका भेजा गया। वहां प्रति गरीब परिवार के हिसाब से एक गाय दी गई। इसका उद्देश्य गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के अलावा जीवनयापन करने में सुविधा देना था।

फार्म के बाद वर्कशाप का नम्बर
डेयरी फार्म के बाद रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत देश के 14 स्टेशन वर्कशाप को भी बंद कर दिया जाएगा। इसमें जबलपुर का स्टेशन वर्कशाप भी शामिल है। इसमें करीब 117 नियमित कर्मचारी हैं। इन्हें 506 आर्मी बेस वर्कशॉप भेजा जा सकता है। लीडर स्टाफ साइड आर्मी हेडक्र्वाटर जेसीएम-3 सदस्य अनिल शर्मा ने बताया कि सेना अपने सभी 39 फार्म बंद कर रही है। इसी तरह स्टेशन वर्कशॉप में भी जल्द ताला लग जाएगा। इस सम्बध्ंा में डीजी की तरफ से नोटिस भी जारी किया गया है। इसमें कर्मचारियों को शिफ्ट करने की बात कही गई है।

एक से बढकऱ एक गाय
डेयरी फार्म के कर्मचारी बताते हैं कि फार्म में एक से बढकऱ एक गायें थीं। गीतांजलि समेत कई गायें तो हर कर्मचारी की पसंद थीं। सभी आते ही पहले उनको खिलाते थे। सन 1984-85 में फॉर्म की इस गाय की दूध की क्षमता पर सेना के अधिकारियों में भी खूब चर्चा रहती थी। गीतांजलि गाय की विशेष देखदेख होती थी। दूधिया दूध दुहते थक जाता था लेकिन उसकी मात्रा कम नहीं होती थी। हाथी के आकार की यह उच्च नस्ल की गाय का दूध के मामले में रिकॉर्ड अब तक नहीं टूटा है। इतने दूध के लिए उसकी खुराक भी अच्छी रही। यदि ऐसी गाय को प्रति लीटर दूध प्रति किलो खुराक दी जाती थी। इसमें 80 फीसदी खाना विभिन्न प्रकार की हरी घास होत थी तो 20 फीसदी सूखा खाना यानि भूसा और खली चुनी होती थी।

सांड ने जीते थे 5 अवार्ड
कंस नाम के सांड की पूरे फॉर्म में तूती बोलती थी। उसे देखने के लिए बाहर से लोग भी फॉर्म में आते थे। कर्मचारी बताते हैँ कि 1996 में बिलासपुर में बैलों की प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसमें सात राज्यों से लोग अपने बैलों को लेकर आए थे। उस समय 16 में से जबलपुर के सेना डेयरी फॉर्म ने लगभग सारे अवार्ड जीते थे। इसमें चार से पांच अवार्ड तो केवल कंस ने जीते थे। फ्रीजन प्रजाति का यह सांड को रोजाना एक से डेढ़ लीटर घी पिलाया जाता था। 20 से 25 अंडे और 5 से 6 लीटर दूध रोजाना पिलाया जाता था। इसके अलावा वह 25 किलो खुराक भी खाता था।

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