जबलपुरPublished: Sep 11, 2021 06:48:41 pm
Sanjay Umrey
आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा
Aachary Vidhyasagar Maharaj in Jabalpur
जबलपुर। चातुर्मास के लिए तिलवाराघाट स्थित दयोदय तीर्थ गोशाला में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए उपवास करना चाहिए। अब तो वैज्ञानिक इस बात को मानने लगे हैं कि उपवास करने से कई रोगों से मुक्ति मिलती है। प्रयोग करने से सिद्ध भी हो चुका है। इसलिए आप लोगों को अष्टमी और चतुर्दशी, पंचमी और ग्यारस, दस लक्षणपर्व और वर्ष में चार स्टानिका पर्व में उपवास करना चाहिए।
आलस्य का त्याग करें–
आचार्यश्री ने आगे कहा कि आप अपना जीवन स्तर बढ़ाना चाहते हैं तो आपको उसके अनुरूप ही अध्ययन करना होगा। यदि अंक ज्यादा लेना है तो ध्यान रखो, आलस्य के बिना अभ्यास करना होगा। यदि अभ्यास करना चाहते हैं तो आपको आलस छोडऩा होगा। एक-एक क्षण का उपयोग करना होगा। उन्होंने कथा के जरिए समझाया कि दो व्यक्ति एक कम्पनी में नौकरी के लिए गए। दोनों का चयन हुआ और काम करने का निश्चय भी कर लिया। एक ने दूसरे से कुछ दिन बाद मिलने पर कहा कि आप कुछ उदास लग रहे हो। दूसरे ने बताया कि हमारा आपका काम एक साथ लगा। लेकिन मेरा पद कुछ कम है। वेतन कुछ कम है और मुझे स्थाई नौकरी पर नहीं रखा गया। भले ही वेतन कम हो लेकिन निरंतरता होना आवश्यक है। निरंतरता होने से बड़े-बड़े काम हो जाते हैं। यह संयम का द्योतक होता है।
धर्म कर्म में भी हो निरंतरता–
आचार्यश्री ने कहा कि जब आप नौकरी में निरंतरता चाहते है तो धर्म कर्म में भी निरंतरता रखनी चाहिए। आप लोगों को यह भी जानना चाहिए कि आप धार्मिक अनुष्ठान थोड़े समय के लिए करो और कम साधनों के साथ करो। कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन पूरे मन से, ध्यान से करना चाहिए। यह तो बाहरी आलंबन है। उसके साथ साथ भीतर का भी सम्बंध जुड़ा हुआ होता है। भीतर के आत्म बल को आप और सक्षम बनाएं।
आयुर्वेद और शाकाहार का उपयोग करें–
आचार्यश्री ने कहा कि पिछले 2 वर्षों में विश्व के कोने कोने में यह महामारी जो आयी है, इसके बारे में कोई देश यह नहीं कह रहे हैं कि किस कारण से यह रोग उत्पन्न हुआ है। इसकी क्या अचूक दवाई है। लेकिन हमारे भारतीय आयुर्वेद के अनुसार हम यह नहीं कह रहे हैं। महामारी की अचूक दवा आयुर्वेद में है। हम कहां कह रहे हैं कि आयुर्वेद में महामारी की दवाई मिली है। किंतु इतना अवश्य है उस महामारी से लड़ भिड़ करके उससे महामारी की शक्ति को कम करने की क्षमता आयुर्वेद के पास है और रोग निरोधक शक्ति का उपार्जन हम करते हैं। हम उसकी गंभीरता से बच सकते हैं। आज के वर्तमान युग में एलोपैथी दवाई तो दे रहे हैं परंतु उसके परिणामों की चिंता नहीं कर रहे हैं। रोग कुछ समय के लिए दब जाता है और कई बार वह दूसरे रोगों को भी जन्म दे देता है। इसलिए आप लोगों का कर्तव्य है कि आयुर्वेद और शाकाहार का उपयोग करें।
आयुर्वेद में है शक्ति–
उन्होंने कहा कि 2 साल में महामारी- बीमारी के बाद भी जो दवाइयां खाई गई हैं उससे शारीरिक कमजोरी हो गई है। जबकि दवाइयों के बाद बलशाली होना चाहिए। लोगों को दवाइयों की अधिकता के कारण पाचन शक्ति कमजोर हो रही है और शारीरिक मानसिक शक्ति कमजोर होती जा रही है। आयुर्वेद में विश्वास बढ़ जाता है तो धीरे-धीरे ही सही पर रोगों से लडऩे की शक्ति उत्पन्न हो जाती है। मेरा अनेक ऐसे बुजुर्गों से साक्षात्कार हुआ है जो 90-सौ वर्ष से अधिक के हैं। एक बार 112 वर्ष के व्यक्ति से जब मेरी चर्चा हुई तो वह बोल पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं। लेकिन जब मैंने उन्हें कार्योंत्तसर्ग करने के लिए कहा तो उन्होंने 9 बार उंगलियों पर उंगलियों को फिराया- घुमाया। मैं समझ गया कि बोलने में भले ही असमर्थ है लेकिन सुन भी सकते हैं और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है। यह आयुर्वेद और शाकाहार की शक्ति है। वृद्धावस्था के कारण कमजोरी है लेकिन वह पूर्णता संतुष्ट और प्रसन्न हैं।