जबलपुरPublished: Sep 16, 2021 06:34:11 pm
Sanjay Umrey
दयोदय तीर्थ में चातुर्मास के लिए विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा
Aachary Vidhyasagar Maharaj in Jabalpur
जबलपुर। पर्युषण पर्व पर उत्तम संयम के विषय में समझाते हुए दयोदय तीर्थ में चातुर्मास के लिए विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि आज संयम का दिन है। जिस तरह आप लोग लोकतंत्र का संरक्षण और पालन करते हैं, उसी तरह यदि आप सम्यक दर्शन का भी पालन और संरक्षण करना चाहते हैं तो आपको संयम का पालन करना होगा। क्योंकि संयम के जो संस्कार हैं वे देव गति को प्राप्त होते हैं। जो व्यक्ति स्वयं संयम का पालन नहीं करता, वह किसी भी तरह के उपदेश देने का अधिकारी नहीं है। हां उपदेश ग्रहण करने का अधिकारी जरूर है।
स्वयं क्या करना है नहीं पता–
आचार्यश्री ने कहा कि जिन के भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता उन्हीं में से मनुष्य एक जीव है। जो दूसरे को क्या करना है, क्या नहीं करना इसकी आज्ञा देता रहता है। लेकिन वह स्वयं क्या करता है वह नहीं जानता। इसलिए संयम के अभाव में मोक्ष मार्ग का उपदेश भी एक उदासीन वचन जैसा होता है।
संयम का परिणाम अच्छा–
जिस तरह परीक्षा देने के उपरांत परिणाम की प्रतीक्षा होती है। एक-एक दिन कठिन होता है। नींद नहीं आती और जब परिणाम घोषित होता है तब निश्चितता आ जाती है। इसी तरह जन्म लेने के बाद जीवन में हर दिन परीक्षा होती है। संयमित जीवन जीने वाले के परिणाम सदा अच्छे होते हैं। अमीर व्यक्ति बहुत लम्बे समय तक जीना चाहता है। संयमी व्यक्ति उस मार्ग को ढूंढता है जो उसे मोक्ष मार्ग पर ले जाए। वह समय दर्शन का पालन करता है। सम्यक ज्ञान का पालन करता है तब उसे मोक्ष मार्ग मिलता है।
संयमित नहीं रहता दुखी–
मनुष्य जब उत्तम संयम की ओर बढ़ जाता है। उसे दुनिया की सारी सम्पदा कम लगने लगती है। चरित्र ही सम्पदा हो जाती है। हमारे आचार्य भी कहते थे, संयम मार्ग भूला नहीं जा सकता। यदि आपमें थोड़ा सा भी संयम है तो बहुत से बुरेकर्म रुक जाते हैं। जो नहीं होने चाहिए वह नहीं होते। संयम का मार्ग पहाड़ पर चढऩे के जैसा कठिन होता है। लेकिन यदि आपने संयम को त्याग दिया वह पहाड़ की फिसलन की तरह ही उस मार्ग पर ले जाता है। जो आपको कभी बचा नहीं सकता, यह भी पता नहीं होता कि वह आपको कितने नीचे तक ले जाएगा। संयमित जीवन जीने वाला कभी दुखी नहीं रहता।