जबलपुरPublished: Oct 17, 2021 07:41:03 pm
Sanjay Umrey
पूर्णायु परिसर में चातुर्मास कर रहे आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा
Aachary Vidhyasagar Maharaj in Jabalpur
जबलपुर। पूर्णायु परिसर में चातुर्मास कर रहे आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कहा कि हमारे पूर्व जन्मों के कर्म हैं, जो आज हमारे जीवन में परीक्षा देने के लिए आए हैं। जब तक यह प्राण शरीर में रहेंगे तब तक आप उसे नहीं छोड़ेंगे। बैरी के प्रति बैर भाव ना हो, यह पूर्व जन्मों का कर्म है।
सम्यक चरित्र से पहचान
उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य प्रतिदिन ज्वर के साथ उठता है और ज्वर के साथ ही सोता है। यह ज्वर -ताप उसके शरीर में पूरे समय बना रहता है। इसके लिए उसे कोई भी दवा लेनी आवश्यक नहीं है। हमें यह देखना चाहिए कि शरीर में कितनी सहने की क्षमता है। सोने से भी ज्यादा भारी पदार्थ पारा माना जाता है। आपके शरीर में जब लौह तत्व का संतुलन बिगड़ता है, तब शरीर का तापमान बढऩे लगता है। पारा ऊपर चढ़ा होता है, तब हम उसे बुखार या ज्वर कहते हैं। लेकिन, कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि शरीर में तापमान नहीं बढ़ता, लेकिन व्यक्तिके स्वभाव को देख कर कहा जाता है इनका पारा हमेशा चढ़ा रहता है। हमारे दिमाग का पारा सम्यक दर्शन और सम्यक चारित्र से नापा जाता है।
किसी के प्रति आपके मन में बैर की गांठ पड़ गई, तब भावांतर में जाने के बाद भी आप का पारा चढ़ सकता है। आज आपकी पर्याय भिन्न है और उसका पर्याय भी भिन्न है।
मन को बार-बार नापो
आचार्यश्री ने कहा कि पुराणों में उल्लेख है कि काला सर्प है और वह फन उठाए खड़ा है। फुफकार रहा है, तो भी दहशत में सामने वाले के प्राण जा सकते हैं। लेकिन, मुनि एवं संतों को जिन्हें रिद्धि-सिद्धि प्राप्त होती है, लेकिन वह कभी भी उसका उपयोग नहीं करते। उनके सामने विषधर भी उन्हें प्रणाम करके निकल जाते है। इस भावना के साथ की है वीतरागी संत हमें भी वीतरागी बना दो। लेकिन, पूर्व जन्म में किसी से बैर लिया हो तो इस जन्म में किए गए अच्छे कार्य भी समाप्त हो जाते हैं। अब आपकी क्षमता आपकी, विषमता और आपकी उम्र, ममता इन सब की परख आप अपने मन के थर्मामीटर से बार-बार नापा करो। ताकि मन का ज्वार कभी भी ना बढ़े।