बता दें कि कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की प्रेरणा से जिले में देहदान का अभियान चलाया जा रहा है। डिप्टी कलेक्टर तिवारी का कहना है कि सतपथी के देहदान के संकल्प पत्र की जानकारी उड़ीसा प्रशासन को भेजी जा रही है। उमाशंकर अवस्थी ने बताया कि कलेक्टर शर्मा के देह दान- महादान की योजना के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। जिले भर से तमाम नागरिक, जनप्रतिनिधि, अधिकारी व कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर देहदान का संकल्प पत्र भरा ताकि मृत्यु उपरांत भी उनकी देह मानव सेवा व कल्याण के काम आ सके।
दरअसल केवल जबलपुर ही नहीं बल्कि पूरे देश में मृत देह की काफी जरूरत है। विदेशों की अपेक्षा भारत में अभी देह दान का प्रचलन अपेक्षाकृत कम है जिसके चलते मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए देह की संचरना की भौतिक जानकारी में दिक्कत आती है। एक साथ ज्यादा मेडिकल छात्रों को एक मृत देह के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ता है। कोरोना काल में जब देह की दूरी जरूरी शर्त है, तो मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए यह मुश्किल भरा कदम साबित हो रहा है।
भारतीय चिकित्सा परिषद के निर्देशानुसार 10 चिकित्सा छात्रों पर एक साल प्रायोगिक अध्ययन के लिए होना चाहिए। इससे पूर्व 15 छात्रों पर यह सब होने के निर्देश जारी किए गए थे। मेडिकल कॉलेज के अलावा आयुर्वेद महाविद्यालय में भी मृत देह की कमी के कारण अध्ययन व अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी भावी चिकित्सकों के प्रायोगिक अध्ययन के लिए मृत देह की कमी है।