scriptfake remdesivir injection case में पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, जानें ऐसा क्या हुआ… | accuse of selling fake Remdesivir injection confessed to allegation | Patrika News

fake remdesivir injection case में पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, जानें ऐसा क्या हुआ…

locationजबलपुरPublished: Jun 19, 2021 11:06:27 am

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-रिमांड पर लिए गए fake remdesivir injection case के आरोपियों से पूछताछ

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन निर्माण व बिक्री के आरोपी

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन निर्माण व बिक्री के आरोपी

जबलपुर. fake remdesivir injection case में फंसे आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में कई राज खोले हैं। पुलिस इसे बड़ी सफलता मान रही है। इससे इस केस में नया मोड़ आ सकता है। हालांकि अभी पूछताछ जारी रहन है। बतादें कि पुलिस ने गुजरात से लाए आरोपियों को चार दिन की रिमांड हासिल की है।
बताया जा रहा है कि गुजरात से लाए गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के चारों गुनहगारों ने एसआईटी के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से इंजेक्शन बेचने वाले रीवा निवासी सुनील मिश्रा ने एसआईटी को बताया है कि उसने फार्मा कंपनी के संचालकों से दो बार में 1200 इंजेक्शन खरीदे थे। उसमें से 500 इंजेक्शन जबलपुर भेजे थे, जबकि 700 इंजेक्शन उसने इंदौर में खपाए थे।
बता दें कि सूरत में नकली फार्मा के संचालक कौशल वोरा, पुनीत शाह, रीवा निवासी सुनील मिश्रा और जबलपुर अधारताल निवासी भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन को एसआईटी प्रोडक्शन वारंट पर जबलपुर लाई है। यहां कोर्ट से चार दिन का रिमांड हासिल करने के बाद एसआईटी ने चारों आरोपियों से पूछताछ की।
एसआईटी सूत्रों की मानें तो एएसपी सिटी रोहित काशवानी ने खुद आरोपियों से पूछताछ की और उनके बयान दर्ज किए। पूछताछ में सूरत में नकली फार्मा कंपनी के संचालक पुनीत शाह और कौशल वोरा ने स्वीकार किया कि 10 अप्रैल के आसपास उन्होंने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की सोची थी। उस समय देश भर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी मांग थी। ऐसे में मुम्बई से रैपर, रेमडेसिविर इंजेक्शन की शीशियां तैयार कराकर उसकी पैकिंग कराई गई।
बताया जा रहा है कि सुनील मिश्रा इंदौर में रहकर मेडिकल से जुड़ी सामग्रियों की ऑनलाइन खरीदी बिक्री करता रहा है। कोरोना काल में उसका यह धंधा चल निकला था। ऑनलाइन माध्यम से ही वह पुनीत शाह के संपर्क में आया। इसके बाद वह भी ऑनलाइन इंजेक्शन बेचने के लिए ग्राहक ढूंढने लगे। शहर के विजय नगर क्षेत्र स्थित दवा दुकानदार से सुनील मिश्रा का नंबर सिटी अस्पताल के दवा कर्मी देवेश को मिला था।
सपन ने पूछताछ में बताया कि देवेश के माध्यम से उसे सुनील मिश्रा का नंबर मिला था। उसने सुनील से इंजेक्शन खरीदने का सौदा किया। उसने तीन हजार रुपए प्रति इंजेक्शन की कीमत बताई। सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत मोखा ने 500 इंजेक्शन की जरूरत बताई थी। उसने 15 लाख रुपए इंदौर में एमआर दोस्त राकेश शर्मा के माध्यम से सुनील मिश्रा से इंजेक्शन खरीदवाया था।
इंजेक्शन की मांग को देखते हुए राकेश ने 35 इंजेक्शन निकाल लिए थे। उसने उसने सरबजीत मोखा के बताए अनुसार 465 इंजेक्शन उसके एक रिश्तेदार को दे दिया था। दोनों कार्टून पैक थे। उस रिश्तेदार को ये नहीं पता था कि कार्टून में क्या है। उसने अम्बे ट्रेवल्स के माध्यम से 23 व 27 अप्रैल को इंजेक्शन जबलपुर भिजवा दिया था। जबलपुर में ट्रेवल्स से देवेश जाकर दोनों कार्टून सिटी अस्पताल लाया था।
एसआईटी सूत्रों के मुताबिक अभी सपन जैन से 35 इंजेक्शन को लेकर पूछताछ हाेनी है। पूर्व में राकेश शर्मा ने गिरफ्तारी के दौरान और सपन इंदौर में पूछताछ के दौरान 35 इंजेक्शन तिलवारा में फेंकने की बात स्वीकार कर चुका है। पर एसआईटी उससे एक बार फिर इसे लेकर क्रास चेक करना चाहती है। जरूरत पड़ी तो उसे लेकर घटनास्थल पर जाएगी कि उसने अधारताल से तिलवारा जाने तक कौन से रूट का प्रयोग किया था। और कहां से फेंका था। इसके अलावा एसआईटी आरोपियों के बीच लेन-देन संबंधी माध्यम की भी जानकारी प्राप्त करने में जुटी है।
सपन जैन ने 15 लाख रुपए राकेश शर्मा के माध्यम से सुनील मिश्रा को भुगतान कर दिया था। अब एसआईटी ये पता लगाने में जुटी है कि ये रकम सपन जैन ने कहां से प्राप्त किया। इस पैसे के स्रोत की जानकारी के आधार पर एसआईटी आगे की जांच आगे बढ़ाएगी। चारों आरोपियों से लगातार पूछताछ जारी है। इसमें दस्तावेजों से लेकर कई तरह की जानकारी शामिल है।
केस से संबंधित हर बिंदु पर पूछताछ

“गुजरात से लाए गए चारों आरोपियों से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड़े हर बिंदुओं पर पूछताछ की जा रही है। नकली फैक्ट्री से जबलपुर के सिटी अस्पताल तक पहुंचने की पूरी कहानी और इस कड़ी में सामने आए हर किरदार की भूमिका को लेकर जानकारी प्राप्त करने की कोशिश है।” रोहित काशवानी, एसपी सिटी
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