राग अग्नि की तरह
आचार्यश्री ने कहा कि राग अग्नि की तरह है। पर्युषण पर्व उस अग्नि को शांत करने में महत्वपूर्ण कार्य करता है। सम्यक दर्शन के लक्षण बताते हुए कुंदकुंद देव कहते हैं, धर्म का क्या लक्षण है? धर्म लक्षण का होता है अहिंसा। दूसरे के दुख दर्द आप दूर कर पाए या ना कर पाए, यह अलग बात है। लेकिन, उसके दुख देखकर आपका दिल दुख जाए, उसे ही निर्मल भाव के साथ धर्म कहते हैं।
दया धर्म का मूल
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में दया धर्म का मूल है। भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है यह उसका संकल्प है, गुनाह नहीं करूंगा। किंतु कोई अपने पर प्रहार करता है तो मैं रक्षा करूंगा। एक विदेशी इतिहासकार ने अद्भुत संकलित किया। एक किताब में और उन सब बातों का विवेचन किया उनमें भारत के लिए भी एक स्थान दिया। दुनिया के बहुत सारे देशों ने स्वार्थ के लिए भरपूर आक्रमण किए। पड़ोसी की जमीन जान ली। लेकिन, आश्चर्य की बात लिखी है कि भारत ने कभी भी किसी के ऊपर आक्रमण नहीं किया। लेकिन जिसने आक्रमण किया है भारत उसकी धज्जियां उड़ा दी।
आचार्यश्री ने समझाया कि जब आप देश की रक्षा नहीं कर सकते तो धर्म की रक्षा कैसे कर सकते हो। शाकाहार का लक्षण क्या विलक्षण है, इसको दुनिया में और कहीं नहीं देख सकते। यदि हृदय कठोर भी होता है तो भी हिंसा कहां से आती है, भीतर से। लेकिन हृदय में दया भी रहती है। बस भावों में परिवर्तन की बात है।
गाय को मां का दर्जा
गुरुदेव ने कहा कि भारत में लगता है गरीबी बढ़ती जा रही है। इसके पीछे कारण है कि हमने हथकरघा, हस्तशिल्प और लोगों के नागरिकों की कलाओं को दूर कर दिया। स्वतंत्रता के बाद इन कलाओं मे लगातार कमी आती रही। गरीबी बढ़ती रही। एक समय भारत के प्रत्येक नागरिक के आंगन में गाय बंधती थी। सुबह-सुबह गायें रम्भाती थीं, तो मंगलाचरण हो जाता था। उस गाय के मुख से जो ध्वनि आती थी वह वातावरण को पवित्र कर देती है। घबराओ नहीं गाय जीवित है तो वह सब कुछ लाकर दे देगी। यह संदेश गोमाता प्रतिदिन देती थी और उस समय के किसान लोग इस रहस्य को मानते थे। इसलिए वह अपने आंगन में गोवंश को बांधते और उसकी रक्षा करते थे। गाय इतनी संवेदनशीलता होती है कि यदि आप रोते हैं, तो गाय भी रोती है। यदि आपके घर कोई संकट आता है तो वह खाना पीना छोड़ देती है। भारतीय संस्कृति में गाय को मां का दर्जा दिया गया है।