जबलपुरPublished: Mar 26, 2019 09:24:59 pm
shyam bihari
जबलपुर में आचार संहिता उल्लंघन पर होने लगी कार्रवाई, तो फुसफुसाने लगी जनता
sharab
जबलपुर। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होते ही जबलपुर शहर सहित पूरे जिले में जिला और पुलिस प्रशासन कार्रवाई के लिए टूट पड़ा। शुरू के दो-चार दिन तो उसकी तूफानी पारी देखकर लोग दंग रह गए। लोगों को लगा सब साफ हो जाएगा। टीमें चुन-चुनकर नियम तोडऩे वालों का थोबड़ा बिगाड़ देंगी। हालांकि, लोगों की खुशफहमी जल्द ही दूर हो गई। प्रशासन और पुलिस की टीमें को देखकर साफ हो गया कि वे तो मुनादी कर रहे थे कि अब उनके हाथ में अधिकार ज्यादा आ गया है। नेताजी की वे सुनेंगे नहीं। बदमाशों को पहले की तरह छेड़ेंगे नहीं। सीधे-सज्जन लोगों को छोड़ेंगे नहीं। पुलिस का अब ज्यादा ध्यान शराब तस्करों को पकडऩे पर है। रोज खबरें आ रही हैं झाडिय़ों में मिली 10, 20, 50 पाव देशी शराब। अब कोई भी समझ सकता है कि 10 पाव शराब की तस्करी किस हैसियत वाला तस्कर करता होगा। कलारी पर ‘शाम की दवाईÓ खरीदने पहुंचने वाले जरूर परेशान हैं कि उनके पैर बहके नहीं कि पुलिस बाज की तरह झपट पड़ती है। नेताजी लाखों के बोतल कब बंटवाते हैं? कहां से बंटवाते हैं? किसे बंटवाते हैं? इसका खुलासा तो पुलिस शायद ही करती है!!!
नेताजी का दबाव है, कार्रवाई तो करनी पड़ेगी
चुनाव आयोग का रवैया सख्त रहता है। इसकी वाहवाही भी मिलती है। लेकिन, पुलिस और प्रशासन के साथ निगरानी दलों की मुश्किल बढ़ गई हैं। जनता को लालच देने के हथकंडों पर कार्रवाई नहीं होती, तो किसी न किसी पक्ष के नेताजी शिकायत कर देते हैं। प्रदेश में कांग्रेस सरकार है। केंद्र में भाजपा सत्तासीन है। ऐसे में दोनों दलों के कार्यकर्ता अपने को सरकार मान रहे हैं। दोनों दलों के नेताओं को लगता है कि चुनाव आयोग उनकी ही बात सुनेगा। ऐसे में कार्रवाई का दबाव तो है। लेकिन, निष्पक्षता तो फिर भी संकट में ही है। क्योंकि, कार्रवाई पुलिस को करनी है। पुलिस किसकी होती है, यह कोई जाने या ना जाने। जनता जरूर जानती है।
कार्रवाई इस तरह
सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने पर एफआइआर। इसमें कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेता हैं। कोलाहल अधिनियम के तहत भी दो प्रकरण दर्ज हो रहे हैं। बिना दस्तावेज के नकदी बरामद की जा रहा है। बंदूक और कारतूस भी पकड़ रहे हैं। बैनर, पोस्टर और वॉल पेंटिंग हटाई जा रही हैं। मोटर वीकल एक्ट के तहत भी कार्रवाई हो रही है। शराब का प्रलोभन देकर मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयासों पर ज्यादा फोकस है। पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों के जलवे हैं।