इस वर्ष एमबीबीएस और बीडीएस की कुल 97498 सीटों और बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस की करीब 40 हजार सीटें हैं। इसमें एम्स और जेआईपीएमईआर में एमबीबीएस की कुल 1407 सीटें भी जोड़ दी जावें तो कुल सीटें बढ़कर 138905 हो जाएंगी। फिर भी नीट पास छात्र-छात्राओं में छह लाख अ_ावन हजार एक सौ सैंतीस उम्मीदवारों को इस वर्ष चिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में प्रवेश का मौका नहीं मिल सकेगा।
एमबीबीएस में मारामारी
छात्र-छात्राएं सबसे ज्यादा एमबीबीएस में प्रवेश के लिए दिलचस्पी ले रहे हैं। मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग में पंजीयन कराने वालों की छात्र संख्या भी अधिक है। उसके बाद डेंटल में जोर है। लेकिन आयुष पाठ्यक्रमों में प्रवेश को लेकर अपेक्षाकृत उत्साह कम है। पिछले वर्ष भी आयुष पाठ्यक्रमों की एक हजार से अधिक सीटें खाली रह गई थी।
सेंट्रलाइज हो काउंसिलिंग
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय के अनुसार नीट पास होने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को इस साल प्रवेश नहीं मिलेगा। इधर, आयुष कॉलेजों में फिर से आधी सीटें खाली रह जाने की आशंका है। सरकार की ओर से मेडिकल, डेंटल और आयुष के लिए एक साथ प्रवेश परीक्षा कराई जा रही है। लेकिन काउंसिलिंग अलग-अलग हो रही है। यदि सेंट्रलाइज काउंसिलिंग होगी तो आयुष पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश बढ़ेगा। छात्र-छात्राएं आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी की पढ़ाई का रुख करेंगे। काउंसिलिंग व्यवस्था में बदलाव को लेकर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को मांग पत्र भी प्रेषित किया गया है।