जबलपुरPublished: Jun 03, 2020 01:09:33 am
shyam bihari
जबलपुर के सरकारी अस्पताल के दरवाजे सामान्य मरीजों के लिए पूरी तरह खुलते ही लगी कतार
corona
जबलपुर। सामान्य मरीजों-कोरोना के अलावा, की जांच और उपचार शुरू हुआ तो जबलपुर शहर के सरकारी अस्पतालों में भीड़ उमड़ पड़ी। सभी मरीजों के लिए अस्पतालों के दरवाजा खोलने के साथ ही कोविड-19 संक्रमण से बचाव को लेकर अमला सतर्क रहा। अस्पतालों की ओपीडी में प्रवेश से पहले मरीजों की थर्मल स्कैनर से जांच की गई। टैम्प्रेचर लेने और बुखार नहीं होने पर प्रवेश दिया गया। सर्दी-खांसी, बुखार और सांस लेने में संदिग्ध मरीजों को अलग बनाई गई फीवर क्लीनिक में भेजा गया। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, विक्टोरिया जिला अस्पताल और एल्गिन अस्पताल की ओपीडी में जांच के लिए सुबह से मरीज पहुंचे। लॉकडाउन के दिनों के मुकाबले दोगुना से ज्यादा मरीज सोमवार को सभी अस्पतालों में जांच के लिए पहुंचे। इससे कतार लग गई। सोशल डिस्टेसिंग की पालना कराने के लिए पुलिस को मशक्कत करनी पड़ी।
शहर में कोरोना पॉजीटिव मिलने के बाद और लॉकडाउन के चलते करीब 70 दिनों से अस्पतालों की ओपीडी में गिने-चुने मरीज ही पहुंच रहे थे। इमरजेंसी केस ही देखे जा रहे थे। सोमवार को अनलॉक 1.0 शुरु होने के साथ ही बड़ी संख्या में मरीज फॉलोअप जांच के लिए भी पहुंचे। इसमें डायबिटीज, बीपी, थायराइड जैसी बीमारी से पीडि़तों की संख्या ज्यादा रही। ओपीडी के साथ ही पैथोलॉजी जांच, एक्स-रे जैसी सुविधा शुरु हो गई। लंबे समय से बंद रुटीन सर्जरी भी प्रारंभ कर दी गई है। कोरोना संक्रमण से एहतियात बरतने के कारण अस्पतालों में स्टाफ मास्क, ग्लव्स सहित जरुरी किट पहनकर पूरे प्रोटोकॉल में आए। हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में सभी डॉक्टरों के नहीं पहुंचने से वहां व्यवस्था अभी भी पटरी पर नहीं लौटी है।
कोरोना जांच करा दीजिए सर
स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संदिग्धों को घर के पास ही स्क्रीनिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अस्पतालों के अलावा मोहल्ले में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और डिस्पेंसरियों में फीवर क्लीनिक बनाया है। क्लीनिक के सोमवार को शुरु होते ही उसमें बड़ी संख्या में कोरोना संदेह के चलते लोग जांच के लिए पहुंचे। सर्दी-खांसी, बुखार और सांस लेने में समस्या वाले मरीजों के अलावा कई लोग संदेह दूर करने के लिए कोरोना जांच कराने का आग्रह किया। इससे स्टाफ को परेशानी से जूझना पड़ा। वहीं, सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के ओपीडी में आने से उन मरीजों को भी राहत मिली जो कई दिन से हड्डी टूटी होने, दांत में दर्द सहित अन्य बीमारियों से पीडि़त थे। न्यूरो और हृदय संबंधी समस्या महसूस करने के बावजूद जांच नहीं करा पा रहे थे।