नगर निगम ने सितम्बर में यहां से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। पहले चरण में यहां लगभग चार सौ के लगभग कब्जे हटाए थे। बाद में विधानसभा चुनाव के दौरान कार्रवाई रोक दी गई। दिसम्बर में हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नगर निगम ने फिर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की। इसके बाद निगम ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की। अब तक 1860 के लगभग कब्जे हटाए गए हैं।
फैक्ट-1
सूपाताल तालाब के सामने पहाड़ी पर टूटे कब्जे की दीवार हटाई नहीं गई है। उपर के हिस्से की चट्टाने नीचे खिसकर सड़क पर आ गई है। फैक्ट-2
देवताल के पास पहाड़ी से रेत, मिटटी का बेस हट गया है। यहां भारी मशीनों के जाने से चट्टानों का संतुलन बिगड़ गया है। निगम ने अब तक यहां कोई कार्य नहीं किया।
देवताल चौहानी के पास ऐसी ही स्थिति है। दो विशालकाय चट्टाने एक छोटी सी चटटान पर टिकी है लेकिन नीचे का बेस मिट्टी धीरे-धीरे नीचे खिसक रही है। ऐसे हुआ खतरा
जानकारों के अनुसार अतिक्रमणकारियों के मकान आदि होने की वजह से पत्थरों के बीच मुरम साफ हो गई है। अतिक्रमण हटने की वजह से वे खुल गए हैं। पत्थरों का कुछ ही हिस्सा जमीन में है, शेष हिस्सा बाहर निकला हुआ है। इस सम्बन्ध में आर्केटेक्ट एसपी सिंह का कहना है कि पहाड़ी पर पत्थरों के बीच मुरम होने की वजह से पत्थरों के बीच मजबूती होती है। वे हिलते नहीं हैं। मुरम प्राकृतिक मसाले की तरह कार्य करती है।
पहाड़ी पर अभी भी 12 सौ के लगभग कब्जे शेष हैं। इन कब्जों को हटाने के लिए दोबारा सीमांकन की प्रक्रिया निगम प्रशासन द्वारा शुरू कर दी गई है। रसूखदारों के बड़े कब्जों की जांच
पहाड़ी में ऐसे कई कब्जे हैं जिनका व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है। निगम का कहना है कि जांच जारी है। वहीं चर्चा है कि रसूखदारों के कब्जों को बचाने के लिए निगम द्वारा ही कागजी पेंच उलझाए जा रहे हैं।
पहाड़ी क्षेत्र से हम 18 सौ से अधिक अतिक्रमण हटा चुके हैं। अन्य कब्जों को हटाने सीमांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जल्द ही फिर से कब्जे हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
राकेश अयाची, उपायुक्त नगर निगम