एयरफोर्स के मीडियम रेंज राडार के लिए रक्षा संपदा विभाग के माध्यम से वर्ष 2009 में ही करीब 72 एकड़ भूमि हस्तांतरित की जा चुकी है। कुछ समय पहले एयरफोर्स प्रबंधन ने इस जमीन की घेराबंदी कर ली है। चारों तरफ बाउंड्रीवॉल बनाई है। अब राडार के लिए जगह का परीक्षण शुरू हुआ है। यह काम भी जल्द ही शुरू होगा। इसका फायदा न केवल एयरफोर्स बल्कि सेना के प्रशिक्षण संस्थान और उत्पादन इकाइयों को भी हो सकेगा।
हाईटेंशन लाइन हटने पर एप्रूवल
जहां राडार के लिए टावर लगने हैं, वहां से विद्युत मंडल की हाईटेंशन लाइन निकली है। इस वजह से टावर लगाने में दिक्कत जाएगी। सूत्रों ने बताया कि हाल में एयरफोर्स के अधिकारी एवं विद्युत मंडल के अधिकारियों के बीच इसे हटाने के लिए चर्चा हुई। इसे हटाया जाएगा। जब तक इसे हटाया नहीं जाएगा, तब तक एयरफोर्स की तकनीकी विंग राडार का एपू्रवल नहीं देगी। बताया जाता है कि इसी माह एप्रूवल कमेटी जबलपुर आएगी। हाइटेंशन लाइन को शिफ्ट करने का काम शुरू होगा।
कमजोर पड़ जाते हैं सिग्नल
एयरफोर्स अपने राडार से दुश्मन की गतिविधियों पर निगरानी रखता है। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि जबलपुर और आसपास के जिलों में भौगोलिक संरचना ऐसी है कि कई जगहों पर सिग्नल कमजोर हो जाते हैं। वहीं राडार के स्थापित होने से यह कमी दूर हो जाएगी।
ओएफके भी देती है ताकत
एयरफोर्स की ताकत बढ़ाने में शहर में स्थापित आयुध निर्माणियां भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। एयरफोर्स के लिए ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया विध्वंसक बमों का उत्पादन करती है। इसमें थाउजेंड पाउंडर बम, 250 किग्रा बम, 110-120 किग्रा एरियल बम, 450 किग्रा बम और आकाश वार जैसे एमुनेशन तैयार किए जाते हैं। इनमें कुछ बमों की बॉडी का निर्माण ग्रे आयरन फाउंड्री में किया जाता है।
एयरफोर्स की गुणवत्ता इकाई
शहर में एयरफोर्स के लिए बनने वाले आयुध उत्पादों की गुणवत्ता की जांच के लिए इकाई भी है। इसमें एयरफोर्स के अधिकारियों के साथ तकनीकी स्टाफ रहता है। ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया में कार्यालय के अलावा एमुनेशन को जांच के लिए लैब तक बनी है ।