सांस के साथ अंदर प्रवेश कर रहे धूल के कण
विशेषज्ञों के अनुसार कोहरे और नमी के कारण धूल और अन्य छोटे-छोटे कण हवा में ज्यादा ऊपर नहीं जा पाते। ऐसे में सांस लेने पर शरीर के अंदर प्रवेश कर श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रदूषण से दमा पीडि़तों की समस्या और बढ़ जाती है। अनदेखी और समय पर उपचार नहीं कराने पर सीओपीडी का खतरा उत्पन्न हो जाता है।
ये हैं हालात
243 एयर क्वालिटी इंडेक्स बीते कुछ समय में सर्वाधिक था
243 हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा 240 मिली जो बेहद गम्भीर है
200 से ज्यादा मरीज प्रतिदिन सांस सम्बंधी समस्या लेकर अस्पतालों में पहुंच रहे हैं
40 प्रतिशत मरीज जांच में सीओपीडी की बीमारी से पीडि़त मिल रहे हैं
इन लक्षणों की न करें अनदेखी
खांसी और बलगम
सांस लेने में परेशानी
सांस में घरघराहट की आवाज
भूख कम लगना, वजन कम होना
(नोट: चिकित्सकों के अनुसार बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।)
पहले समझ नहीं आता, बाद में बढ़ जाती है मुश्किल
डॉक्टरों के अनुसार सीओपीडी के लक्षण प्रारम्भिक स्तर पर सामान्यतया समझ नहीं आते है। जागरुकता के अभाव में ज्यादातर लोग गम्भीर संक्रमण को अस्थमा समझ लेते हैं। जांच और उपचार में देरी से संक्रमण शरीर के दूसरे अंगों में फैल जाता है। इससे स्वास्थ्य को गम्भीर खतरा उत्पन्न हो जाता है।
ये सावधानी बरतें
धूल वाले क्षेत्रों, ज्यादा भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जानें से बचेंं।
सर्दी के सीजन में धूप निकलने पर ही टहलने के लिए जाएं।
घास पर नंगे पैर न चलें, धूम्रपान से परहेज करें।
सांस सम्बंधी समस्या होने पर डॉक्टर से नियमित जांच कराएं।
सांस संबंधी समस्या के मरीज बढ़ें
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस इन पलमोनरी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार भार्गव के अनुसार सांस सम्बंधी समस्या के मरीज बढ़े हैं। सीओपीडी के पीडि़त मरीज भी सामने आ रहे हैं। इस बीमारी का प्रमुख कारण प्रदूषण और धूम्रपान है। बंद रसोई में काम करने सहित अन्य कारणों से भी बीमारी हो सकती है। सांस लेने में समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श लें।