ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार अक्षय तृतीया 7 मई को है। यह अबूझ मुहूर्त होता है। धार्मिक अनुष्ठान या विवाह, गृह प्रवेश, गृहारम्भ जैसे शुभ कार्य बिना मुहूर्त देंखे ही किए जाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व व्यावसायिक उत्सव का संगम होगा।
गुड्डा-गुडिय़ा की रस्में
अक्षय तृतीया के दिन महिलाएं एवं कन्याएं का समूह गुड्डा-गुडिय़ा की वैवाहिक रस्में कर अखंड सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना करती हैं। भगवान शिव पार्वती का पूजन अर्चन एवं भजन कीर्तन की जाती है।
व्यवसाय में रहेगी रौनक
अक्षय तृतीया के मुहूर्त के मौके पर स्वर्ण, वाहन आदि की खरीदी को शुभ माना जाता है। इस दिन लोग प्रमुख बाजारों में खरीदी कर विशेष संयोग पर शुभ कार्य करेंगे। इस प्रकार बाजारों में उत्सव का माहौल होगा।
अक्षय तृतीया पर विशेष महत्व
अक्षय तृतीया के विशेष मुहूर्त पर सैकड़ों जोडों के हाथ पीले होंगे। बैंड बाजा, बग्घी और वाहनों की बुकिंग घंटों के आधार पर हुई। सात मई को होटलों के ज्यादातर कमरे बुक हो गए हैं। सुबह से रात तक शहनाई की धुन गंूजेगी। जिनके घर वैवाहिक कार्यक्रम नहीं है, उन्हें एक ही दिन कई रिश्तेदारों के घर आमंत्रण में पहुंचने की चुनौती है।
भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव
भगवान परशुराम का प्राकट्योत्सव अक्षय तृतीया की तिथि में मनाया जाता है। ब्राह्मण एकता मंच के लोग पूर्व संध्या 6 मई को शहीद स्मारक गोलबाजार में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं 7 मई को भगवान परशुराम धाम मटामर और रतननगर स्थित सुप्तेश्वर गणेश मंदिर में भगवान परशुराम का अभिषेक पूजन करेंगे। सम्पूर्ण ब्राह्मण के तत्वावधान में ग्वारीघाट में भगवान परशुराम प्रतिमा की महाआरती की जाएगी। आस्था ब्राह्मण महासभा के लोग अधारताल में शोभायात्रा निकालेंगे। भगवान शिव पार्वती के मंदिरों में अभिषेक कर लोग सुख-समृद्धि की कामना करेंगे।