महिलाओं के सामने आज भी चुनौती- श्रेया ने बताया कि उन्हें स्वरोजगार स्थापित करने के लिए शुरुआती दौर में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ग्रामीण परिवेश में आज भी महिलाओं के सामने आत्मनिर्भर बनने के लिए चुनौतियां होती हैं। अभिभावकों द्वारा वर्तमान में भी लड़कियों को रोजगार से जुडऩे की अनुमति कम होती है। इसलिए घर पर रहकर ही स्वरोजगार करने की बात सोची। ]
नि:शुल्क देती हैं प्रशिक्षण- श्रेया पनागर और उसके आसपास के क्षेत्रों में आर्ट एंड क्राफ्ट से जुड़ी चीजों के निर्माण का नि:शुल्क प्रशिक्षण देती हैं। ये कार्यशालाएं कभी किसी संस्था के संयोजन से होती हैं, तो कभी कॉलेजों के सेल द्वारा आयोजित करवाई जाती हैं। इसमें वे कॉलेज छात्राओं को वेस्ट चीजों से नई चीजों का निर्माण करने का प्रशिक्षण देती हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली लड़कियां वर्तमान में खुद ही यह काम करते हुए पैसे कमा रही हैं। श्रेया कहती हैं कि वर्तमान दौर सोशल मीडिया का है। सोशल मीडिया पर पेज बनाकर लोगों को जोडऩे का काम किया जा रहा है।