यह है मामला
सिंगरौली जिले के विंध्य नगर थाना क्षेत्र निवासी मुस्लिम अंसारी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि उसकी सत्रह वर्षीय बेटी 25 जनवरी 2018 से लापता है। उसे नॉर्दर्न कोलफील्ड़स लिमिटेड (एनसीएल) में अमरौली प्रोजेक्ट के असिस्टेंट मैनेजर सुमित सिंह ने अगवा कर लिया है। नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद पुलिस अभी तक उसकी पुत्री को खोजने में असफल रही है। उसे संदेह है कि अपहरण के बाद उसकी बेटी को सुमित ने शारीरिक व मानसिक रूप से नुकसान भी पहुंचाया है।
लावारिश मिली कार
याचिकाकर्ता की ओर से गत 14 मई को कोर्ट को बताया गया था कि आरोपित युवक का मोबाइल 25 जनवरी से बंद है। इसके चलते उसकी लेाकेशन ट्रैस नहीं हो पा रही है। उसके पिता की वह कार, जिसमें सुमित किशोरी को ले गया, वह 13 फरवरी को पंजाब के पटियाला में मिली। पुलिस ने बताया कि दिल्ली स्थित आरोपित के पिता मुन्ना सिंह के घर सहित अन्य सभी सम्भावित स्थानों पर तलाश की जा रही है।
एसपी को मिली थी चेतावनी
उल्लेखनीय है कि लडक़ी का पता नहीं चल पाने के कारण जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताई थी। सिंगरौली एसपी को चेतावनी दी थी कि अगली सुनवाई तक किशोरी को पेश नहीं किया गया, तो उन्हें खुद आना होगा। इस पर गुरुवार को सिंगरौली पुलिस ने किशोरी को आरोपित के यहां से लाकर कोर्ट में पेश किया था। याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता मोहम्मद अली ने रखा।
माता-पिता का आरोप
बताया गया है कि बालिका कक्षा बारहवीं की छात्रा है। सिंगरौली जिले के विंध्य नगर थाना क्षेत्र में ही रहने वाले एनसीएल के एक अधिकारी ने उसे अपने प्यार के जाल में फांस लिया है। हालात ये हो गए कि लडक़ी बार-बार उससे मिलने लगी। एक दिन ऐसा आया कि नॉर्दर्न कोलफील्ड़स लिमिटेड (एनसीएल) में अमरौली प्रोजेक्ट के असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत उक्त अधिकारी सुमित सिंह उसे लेकर गायब हो गया। परिजनों ने उसके खिलाफ अपहरण का मामला थाने में दर्ज कराया था। लडक़ी के कदम से परिजन आहत थें। उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन प्यार में सारी हदें पार कर चुकी लडक़ी को माता-पिता के आंसू नजर नहीं आ रहे थे। वह अफसर के साथ रहने की ही जिद कर रही थी। परिजनों का कहना था कि सुमित ने उनकी लडक़ी पर कोई जादू कर दिया है, इसलिए वह मर्यादा और लिहाज की सीमाएं लांघ गई है। परिजनों को उम्मीद व इंतजार था कि उनकी बेटी उनके पास जरूरी लौट आएगी।
आंसुओं की जीत
छात्रा और अफसर के प्यार की कहानी में अब नया मोड़ आया है। माता-पिता की भावनाओं की जीत हुई है। सोमवार को हाईकोर्ट ने एनसीएल के अमरौली प्रोजेक्ट मैनेजर के साथ लापता हुई नाबालिग किशोरी को उसके माता-पिता के साथ ही रहने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की अवकाशकालीन बेंच के समक्ष किशोरी ने कहा कि वह पढाई करना चाहती है और उस पर कोई दबाव नहीं है। इसके मद्देनजर कोर्ट ने किशोरी को ग्रीष्मावकाश तक के लिए माता-पिता के संरक्षण में ही वापस भेज दिया। उसे अगली सुनवाई पर 19 जुलाई को फिर पेश किया जाएगा। उल्लेखनी है कि गत सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि बच्ची को माता-पिता की ओर से दबाव दिया जा रहा है। कोर्ट ने कहा था नाबालिग के बयान से जाहिर है कि उस पर दबाव बनाया जा रहा था। कोर्ट ने कहा था कि बच्चों के साथ हानिकारक व्यवहार अनुचित है। फिर भी इस शर्त पर कोर्ट ने उसे पिता के हवाले सौंप दिया था कि वे उसकी पढ़ाई बंद नहीं करेंगे और ना ही उस पर शादी के लिए दबाव बनाएंगे। इस तरह बच्ची अब माता-पिता के साथ उनके पास चली गई है।