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Orthopedic Research: डॉक्टरों ने नई हड्डी बनाकर जोड़ दिया टूटा पैर, जानें इसकी खूबी 

locationजबलपुरPublished: Jul 14, 2017 01:24:00 pm

Submitted by:

Lalit kostha

सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के नाम पर लोगों का अजीब सा मुंह बन जाता है। लेकिन जबलपुर सहित महाकोशल का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इस मामले में थोड़ा अलग है। 

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जबलपुर। सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के नाम पर लोगों का अजीब सा मुंह बन जाता है। लेकिन जबलपुर सहित महाकोशल का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इस मामले में थोड़ा अलग है। भले ही सुविधाओं का अभाव है, किंतु इलाज में यहां के डॉक्टर नित नए कीर्तिमान बना रहे हैं। एक ऐसा ही कारनामा यहां के डॉक्टरों ने फिर कर दिखाया है। डॉक्टरों ने क्रत्रिम हड्डी बनाकर एक व्यक्ति की टूटी टांग जोड़ दी। जिसकी चर्चा विदेशों तक में हो रही है। 


मेडिकल अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने जटिल सर्जरी से घायल युवक के पैर की हड्डी जोडऩे के साथ उसका तिरछापन दूर कर दिया। 16 माह तक चलने में अस्मर्थ रहे मरीज की सर्जरी नई तकनीकी से हुई और अब वह चलने लगा है। इसमें ट्रामा एवं जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन, असिस्टेंट प्रो. डॉ. सचिन उपाध्याय की रिसर्च कारगर हुई।

उसमें मेश (हॉर्निया के इलाज में उपयोगी टांके की जाली) से हड्डी बनाने वाली झिल्ली बनाई गई है। डॉ. उपाध्याय की रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुकी है। सर्जरी एक ही चरण में हो जाती है। इसके चलते कम खर्चीली है। उन्होंने बताया कि नई तकनीक से बनी हड्डी को सिंथेटिक पेरिओस्टियम कहते हैं। ये नई हड्डी बनाने के साथ बोन ग्रॉफ्ट के समावेश को बढ़ाती है और हड्डी बनाने वाले कई प्रकार के ग्रोथ फैक्टर का स्राव करती है।


इनका सहयोग- आर्थो सर्जन डॉ. केके पांडेय, डॉ. राजेश तुरकर, डॉ. अनुज मुंद्रा, डॉ. सुमित यादव, डॉ. सूर्य प्रकाश गर्ग, डॉ. अंकित जैन, प्लास्टिक सर्जन डॉ. प्रशांत यादव, एनेस्थिसिया के डॉ. आशीष सेठी, डॉ. ममता महोबिया एवं डॉ. मयंक चंसोरिया की टीम ने सर्जरी में सहयोग किया। 

फिर भी नहीं हुआ फायदा
हादसे में रीवा जिले के 30 वर्षीय रामदास यादव का दाहिना पैर फ्रैक्चर हो गया। मेडिकल कॉलेज रीवा और प्राइवेट हॉस्पिटल में दस माह इलाज के बाद भी उसकी हड्डी नहीं जुड़ी। नॉन गैप यूनियन के साथ पैर में तिरछेपन के साथ त्वचा की स्थिति भी खराब थी। 
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