क्राइम कंट्रोल में पीछे रहे शशिकांत
एसपी शशिकांत शुक्ला को गृह विभाग ने 13 जुलाई 2017 को कटनी से जबलपुर स्थानांतरित किया था। शुक्ला के कमान संभालने के बाद शहर में अपराधों के ग्राफ में कमी आने के कयास लगाए गए, लेकिन वे बुरी तरह से विफल साबित हुए। शुक्ला ने आते ही बीट प्रणाली को और भी सक्षम बनाने के लिए कंट्रोल रूम को चीता-चार्ली की आमद-रवानगी के लिए चुना, लेकिन यह प्रयास भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। वे डकैती, लूट, हत्या और महिला सम्बंधी घटनाओं को रोक पाने में फिसड्डी साबित हुए।
इन मामलों ने कराई किरकिरी
– पूर्व मंत्री हरेंद्रजीत सिंह बब्बू को एसपी कार्यालय से बाहर किया, फिर धरना देने पर मजबूरी में मिलने पहुंचे।
– कांग्रेस पार्षदों की चुनौती स्वीकार कर बेलबाग में खुलेआम चल रहे सट्टा को पकडऩे पहुंच गए।
– बेलबाग थाने में मारपीट के प्रकरण में बातचीत के लिए विधायक के बुलाने पर थाने तो नहीं गए, लेकिन मामला दर्ज करना पड़ा।
मैं जनता का एसपी
जिले के पुलिस अधीक्षक बनाए गए अमित सिंह ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि ‘मैं जनता का पुलिस अधिकारी हूं। जनता और पुलिस के बीच में किसी मध्यस्थता को बर्दाश्त नहीं करता। आम लोग 24 घंटे सीधे मुझ तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। मैं अधिक से अधिक फील्ड में रहता हूं और चीजों को समझ कर उसी अनुरूप फैसले करता हूं। बेसिक पुलिसिंग और क्राइम कंट्रोल मेरी प्राथमिकता होगी।’