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इस जिले में 40 फीसदी आंगनबाड़ी चल रहीं किराए के भवनों पर, सुविधाओं का टोटा

locationजबलपुरPublished: Jan 04, 2019 01:36:25 am

Submitted by:

reetesh pyasi

एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के तहत शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है

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जबलपुर। जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को शासकीय या विभाग का भवन नसीब नहीं हो सका है। अब तक करीब 60 फीसदी केंद्र ही शासकीय भवनों में शिफ्ट हो सके हैं। जबकि 40 प्रतिशत केंद्रों का संचालन निजी भवन में हो रहा है। इन भवनों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से बच्चों को दिक्कत होती है।
एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के तहत शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। इनमें पांच से छह वर्ष तक के बच्चों की पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा किया जाता है। किशोरी, युवतियों, गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की देखरेख करने वाली माताओं की आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जाती है।

शहरी क्षेत्र में जगह सीमित
शासकीय भवनों में चल रहे अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र ग्रामीण क्षेत्र के हैं। शहरी क्षेत्रों में इनकी संख्या सीमित है। जानकारों ने बताया, नियमानुसार केंद्र के निर्माण के लिए कम से कम दो हजार वर्ग फुट जमीन होनी चाहिए, वह भी आबादी के बीच। लेकिन शहर में जिला प्रशासन सभी केंद्रों के लिए ऐसी जगह चिह्नित नहीं कर पाया है। ऐसे में इन्हें घनी आबादी वाली बस्तियों में छोटे मकानों में चलाया जा रहा है।

इधर नहीं बदले हालात
स्कूल शिक्षा विभाग सर्वशिक्षा अभियान चलाकर हर बच्चे को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का ढिढोरा भले ही पीट रहा हो, लेकिन हकीकत में शासकीय स्कूलों के परीक्षा परिणाम अच्छे सामने नहीं आ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है शालाओं में पर्याप्त शिक्षकों का नहीं होना है। हालत यह हैं विकासखंड में 25 प्रतिशत स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 70 विद्यार्थी के बीच एक शिक्षक है। यहां के हालात बदलने का नाम नहीं ले रहे।
ये है स्थिति
516 केंद्रों का विभागीय भवनों में हो रहा संचालन
1051 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे शासकीय भवनों में
916 के लगभग आंगनबाड़ी केंद्र
चल रहे किराए के भवनों में

पर्याप्त जगह नहीं मिलने से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को शासकीय भवनों में संचालित करना संभव नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त जगह होती है। केंद्रों में पर्याप्त सुविधाएं मिलें, इसका ध्यान रखा जाता है।
एसए सिद्दीकी, परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग
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