डॉ.पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने इसी आदेश को रिव्यू पिटीशन के जरिए चुनौती दी । कहा गया कि डेंजिल पॉल की याचिका में पूर्व में डॉ नाजपांडे की ओर से दायर याचिका का उल्लेख नहीं किया गया। हाईकोर्ट के 14 जनवरी 2019 को जारी निर्देशों का भी हवाला नहीं दिया गया। डॉ. डेंजिल पॉल ने अपनी याचिका में महत्वपूर्ण तथ्य छिपाया।
अभ्यावेदन हो गया निरस्त
सोमवार को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में डेंजिल पॉल के अभ्यावेदन पर विचार के बाद सरकार इसे निरस्त कर चुकी है। 25 जनवरी के बाद इस संबंध में पुराने नोटिफिकेशन को बढ़ाया नहीं गया और ना ही नया नोटिफिकेशन जारी किया गया। इस पर कोर्ट ने याचिका सारहीन पाकर निरस्त कर दी।
सोमवार को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में डेंजिल पॉल के अभ्यावेदन पर विचार के बाद सरकार इसे निरस्त कर चुकी है। 25 जनवरी के बाद इस संबंध में पुराने नोटिफिकेशन को बढ़ाया नहीं गया और ना ही नया नोटिफिकेशन जारी किया गया। इस पर कोर्ट ने याचिका सारहीन पाकर निरस्त कर दी।