scriptअब नहीं मनोनीत होंगे एंग्लो इंडियन विधायक | Anglo-Indian legislators will not be nominated anymore | Patrika News

अब नहीं मनोनीत होंगे एंग्लो इंडियन विधायक

locationजबलपुरPublished: Jan 27, 2020 08:06:42 pm

Submitted by:

prashant gadgil

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को दिया जवाब, जनहित याचिका निरस्त

highcourt

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जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश किए गए जवाब के मुताबिक अब मप्र विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के विधायक का मनोनयन नहीं होगा। सरकार ने बताया कि एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत किए जाने से संबंधित नोटिफिकेशन की अवधि 25 जनवरी 2020 तक थी। इसे विधानसभा ने नहीं बढ़ाया। कोर्ट के पूर्व आदेश के परिप्रेक्ष्य में दिया गया अभ्यावेदन भी सरकार ठुकरा चुकी है। जवाब को रेकार्ड पर लेकर जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका खारिज कर दी।
यह है मामला
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांताध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे ने 2019 में दायर एक याचिका में कहा कि एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत करने का प्रावधान सर्वथा अनुचित है। देश की आजादी के बाद शुरुआती 10 वर्ष के लिए यह प्रावधान किया गया था। तब से लेकर अब तक इसे बार-बार 10 वर्ष के लिए आगे बढ़ाया जा रहा है। अब जबकि प्रदेश में एंग्लो इंडियन समुदाय नगण्य के बराबर है, इस समुदाय से विधायक मनोनयन सर्वथा अनुचित है। इसलिए अब भारतीय संविधान के अनुच्छेद-331 व 35 में दी गई व्यवस्था की संवैधानिक वैधता सवालों के दायरे में है। अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने तर्क दिया कि यह याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसके बावजूद जबलपुर निवासी डेंजिल पॉल की याचिका पर हाईकोर्ट ने 9 जनवरी 2020 को आदेश पारित कर दिया कि याचिकाकर्ता के आवेदन को विचारार्थ स्वीकार कर अविलंब निर्णय लिया जाए।
डॉ.पीजी नाजपांडे व रजत भार्गव ने इसी आदेश को रिव्यू पिटीशन के जरिए चुनौती दी । कहा गया कि डेंजिल पॉल की याचिका में पूर्व में डॉ नाजपांडे की ओर से दायर याचिका का उल्लेख नहीं किया गया। हाईकोर्ट के 14 जनवरी 2019 को जारी निर्देशों का भी हवाला नहीं दिया गया। डॉ. डेंजिल पॉल ने अपनी याचिका में महत्वपूर्ण तथ्य छिपाया।
अभ्यावेदन हो गया निरस्त
सोमवार को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में डेंजिल पॉल के अभ्यावेदन पर विचार के बाद सरकार इसे निरस्त कर चुकी है। 25 जनवरी के बाद इस संबंध में पुराने नोटिफिकेशन को बढ़ाया नहीं गया और ना ही नया नोटिफिकेशन जारी किया गया। इस पर कोर्ट ने याचिका सारहीन पाकर निरस्त कर दी।
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