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जबलपुर

बड़ी खबर: प्रदेश के सूचना आयुक्त की नियुक्ति कठघरे में, हाईकोर्ट ने दिया यह आदेश

सरकार को नोटिस जारी कर नियुक्ति से संबंधित रेकॉर्ड किए तलब, कोर्ट ने दिए आदेश सभी नियुक्तियां कोर्ट के आदेश के आधीन रहेंगी

जबलपुरMar 27, 2019 / 10:57 pm

Manish garg

mp high court

mp high court

जबलपुर.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के जरिए राज्य में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को अपने अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर नियुक्ति से संबंधित रेकॉर्ड किए तलब किए हैं।याचिकाकर्ता ने नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं होने का आरोप लगाया हुआ है। कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट कहा है कि सभी नियुक्तियां कोर्ट के आदेश के आधीन रहेंगी।
नोटिस जारी कर १३ मई तक जवाब मांगा

जस्टिस नंदिता दुबे की सिंगल बेंच ने राज्य सरकार, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, नियुक्त किए गए आयुक्तों डॉ. जीके मूर्ति और राहुल सिंह को नोटिस जारी कर १३ मई तक जवाब मांगा। उक्त नियुक्तियों से सम्बंधित रेकार्ड भी तलब किए हैं। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को सार्वजनिक नहीं करने का भी आरोप याचिका में लगाया गया है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर नियुक्ति से संबंधित रेकॉर्ड किए तलब किए हैं।
सोशल एक्टिविस्ट ने दायर की है याचिका
मंदसौर निवासी सोशल एक्टिविस्ट रूपाली दुबे ने याचिका में कहा, राज्य में मुख्य सूचना आयुक्त व दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति विवादित है। सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में गठित चयन समिति में मंत्री जयवर्धन सिंह और नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सदस्य थे। समिति ने 20 फरवरी 2019 को बैठक आयोजित कर मुख्य सूचना आयुक्त व दो सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश राज्यपाल को की थी। यह सिफारिश आरटीआइ एक्ट के विरुद्ध थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से 14 फरवरी 2019 को दिए गए दिशा-निर्देश का उल्लंघन भी था। इसलिए नियुक्ति को अंतिम रूप नहीं दिया जाए।
सार्वजनिक होनी थी प्रक्रिया
अधिवक्ता जगत सिंह और शिवम हजारी ने तर्क दिया, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सरकार को सर्च कमेटी का गठन कर सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्राप्त आवेदनों को मेरिट पर शॉर्टलिस्ट करना था। इस पूरी प्रक्रिया को अधिकृत सरकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाना था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। आरटीआइ एक्ट का पालन भी नहीं किया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने उक्त नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन करने का निर्देश दिया।
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