बस आपरेटरों की हड़ताल से थमा परिवहन, बस स्टेण्डों पर भीड़, बसें नदारद, जरूरतमंद यात्री निराश, त्रस्त
जबलपुर। मुशाफिरों के जान की परवाह किए बगैर अंधाधुंध कमाई के लालच में फर्राटे भर रही बसों पर प्रशासनिक कार्रवाई का डंडा चला तो यह बस ऑपरेटरों को नागवार गुजरा। वर्षों से जारी मानमानी पर परिवहन मंत्री के आदेश के बाद जब परिवहन विभाग ने अंकुश लगाने का काम शुरु किया तो हड़ताल पर चले गए। बस संचालकों की इस मानमानी का दंश आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। यात्री बस स्टैंड में जहां दिन-दिनभर बैठकर गंतव्य को जाने के लिए बसों का इंतजार कर रहे हैं तो वहीं आटो और लोडर चालक चांदी काट रहे हैं। हड़ताल से जिले का परिवहन थम गया है। यात्री खासे त्रस्त हैं।
रद्द किया जाए परमिट
बस ऑपरेटर हड़ताल करके सिर्फ यही साबित करना चाह रहे हैं कि उनकी नजरों में यात्रियों के जान की नहीं बल्कि रुपयों की कीमत है। वे मनमाने तरीके से बसों को चलाना चाह रहे हैं और भोली-भाली जिंदगियों से खिलवाड़। ऑपरेटरों का यह अडिय़ल रवैया समझ के परे है। बस ऑपरेटरों की दो दनों से जारी हड़ताल यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है। पहले नियमों की अनदेखी अब हड़ताल कर रहे ऑपरेटरों पर प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस संबंध में एसके पांडे का कहना है कि ऑपरेटरों की इस मामनी पर परमिट रद्द किया जाना चाहिए। इससे न सिर्फ मनमानी थमेगी बल्कि यात्रियों का सफर भी सुरक्षित होगी।
बसों के इंतजार में मुसाफिर
हड़ताल का दूसरा दिन हो गया है और अब तक कोई समाधान नहीं निकला। इससे बस स्टैंडों में बसों की टकटकी लगाए बैंठे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी लंबे रूट के यात्रियों को है। कई घंटों से बसों के इंतजार में हैं। हालांकि यह समस्या 1 सितंबर से है। आरटीओ ने अभियान चलाकर कई बसों में कार्रवाई की है। आधा सैकड़ा से अधिक बसों के फिटनेस निरस्त किए गए हैं तो वहीं कई पर चालानी कार्रवाई हुई है। यह कार्रवाई बस ऑपरेटरों को रास नहीं आ रही है। जिसके चलते हड़ताल कर रहे हैं।
सुबह से कर रहे इंतजार
मंडला बरेला की ओर जाने वाले यात्री परेशान हैं। सर्किट हाउस के समीप बसों के इंतजार में सुबह से बैठे हैं। अनीता बाई ने बताया कि सुबह 8 बजे से बरेली जाने के लिए बस का इंतजार कर रही है। अभी तक एक भी बस नहीं मिली है। इसी प्रकार मोहनेश दुबे ने बताया कि मंडला जाने के लिए 3 घंटे से बस स्टैंड में खड़ा हुआ है। प्रशासनिक की ओर से अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
हर रूट में मडरा रहा खतरा
जबलपुर बस टर्मिनस सहित क्षेत्र में चलने वाली अधिकतर बसों में नियमों की अनदेखी हो रही है। कई बस संचालको के पास बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट तक नहीं है बावजूद इसके बसों का संचालन हो रहा है। कई कंडम बसें बगैर फिटनेस के दौड़ रही हैं। इससे यात्रियों को जान को खतरा बना हुआ है। जबलपुर से कटनी, मंडला, सागर, दमोह, भोपाल, नागपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, गाडरवारा, खुरई, छतरपुर, पन्ना, रीवा, सतना, शहडोल, गोटेगांव सहित अन्य लंबी रूट की बसें गुजरती हैं।
क्षमता से अधिक होती है सवारी
नगर से जिले की अन्य तहसीलों सहित कई जिलो में पहुंचने के लिए बसें चलतीं हं इन बसों में प्रतिदिन हजारों यात्री सफर करते हैं। इन बसों में क्षमता से अधिक सवारियां भी बैठाई जाती है। कंडम वाहनों में सफर करने से दुर्घटनाएं होने पर यात्रियों की जान का खतरा बना रहता है। वहीं एक दरवाजे बाली बसों मे सफर आपातकाल स्थिति में असुविधाजनक बना हुआ है। बसों मे आगजनी से बचाव के लिए अग्निशमन यंत्र भी नहीं लगे है। बसों में फस्ट एड बॉक्स नहीं होने से किसी भी यात्री के दुर्घटना होने पर उसे प्राथमिक उपचार नहीं मिल सकता है।
महिलाओं को होती है असुविधा
शासन द्वारा यात्री बसों में यात्रा करने के लिए महिलाओं को बैठने के लिए रिजर्व सीट देने के लिए निर्देश हैं जिससे महिलाओं को बगैर असुविधा के अपनी यात्रा कर सके, लेकिन बसों में नियम अनुसार महिला सीट तो है। बस संचालक इन पर किसी भी व्यक्ति को बैठा देते है। चाहे महिलाएं खड़े होकर ही क्यों न यात्रा करें। कन्डेक्टरों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
ओवरलोडिंग बनती है जानलेवा
बसों में ओवर लोड सवारियां भरी जाती हैं। राज्य शासन के परिवहन विभाग की गाईड लाईन के अनुसार एक निधारित अवधि गुजर जाने के बाद वाहन अनफिट हो जाते हैं। तथा इन्हे जोखिम लेकर यात्रियों के आवगमन मेें प्रयोग नहीं किया जा सकता। लेकिन मुख्यालय से ही बड़ी संख्या में विभिन्न मार्गों पर इन कन्डम बसों का संचालन किया जा रहा है। किराया भी मनमाना वसूला जा रहा है।
ऐसे हो रहा है नियमों का उल्लंघन
– ग्रामीण अंचलों में चल रही बसों में अधिकतर बसों में एक ही दरवाजा है।
– बसों पर न तो बीमा का उल्लेख है और न ही फिटनेस सर्टिफिकेट अंकित है।
– बसों के अंदर और गेट के पास किराया सूची भी नहीं लगी हुई है।
– बस ड्राईवर और कडंक्टर यूनीफार्म भी नहीं पहनते।
– बसों मे आग से बचाब के लिए अग्निशमन यंत्र भी नहीं रखे हैं।
ये हैं जरूरी नियम
– बसों में ड्राईवर की सीट के पीछे अग्निशमन यंत्र जरूरी है।
– 32 सीटर या उससे अधिक सीटों वाली बसों में दो गेट होना आवश्यक।
– बस के आगे कांच पर बस का बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट की प्रति चस्पा होना अनिवार्य।
– बस के ड्राईवर और कंडक्टर का ड्रेस पहनना जरूरी।
– बसों में फसट एड बॉक्स भी होना चाहिए।
– बस के रूट के अनुसार किराया सूची अंदर चस्पा होना चाहिए।
– बसों में बाइपर ठीक से काम करना चाहिए।
– बस में पीछे जाली नहीं होनी चाहिए।