छह माह में देना था मुआवजा
प्रकरण के अनुसार पोलिपाथर, जबलपुर निवासी केवल कुमार जग्गी व उनके परिजनों की ओर से 2015 में याचिका दायर कर कहा गया कि डुमना स्थित उनकी करीब 50 एकड़ जमीन सेना ने अपने कब्जे में ले ली। इस जमीन से उनके आने जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। अधिवक्ता मनोज शर्मा ने कोर्ट को बताया कि इस जमीन का मुआवजा याचिकाकर्ताओं को नहीं दिया गया। 30 अगस्त 2017 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सैन्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि 6 माह के अंदर याचिकाकर्ताओं को समुचित मुआवजे का निर्धारण कर भुगतान किया जाए।
तीसरी अवमानना याचिका
आदेश का पालन न करने पर 28 मार्च 2018 को हाईकोर्ट में पहली अवमानना याचिका दायर की गई। 6 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश का पालन करने के लिए और 6 माह का समय दिया। इस बार भी आदेश का पालन न होने पर 23 अक्टूबर 2018 को दूसरी अवमानना याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय के सचिव, ब्रिगेडियर स्टेशन कमांडर व केंट बोर्ड जबलपुर के सीईओ की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 27 सितम्बर 2019 को कलेक्टर मुआवजे का अवार्ड पारित कर चुके हैं। वितरण के लिए प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेज दिया गया है। अधिकारियों की ओर से तीन माह का समय और मांगा गया। इसके बावजूद नियत समयावधि में आदेश का पालन नही होने पर तीसरी अवमानना याचिका दायर की गई।
गुणदोष के आधार पर नहीं था आदेश
इसका जवाब भी अनावेदकों की ओर से पेश नही किया गया। ना ही पूर्व आदेश का पालन किया गया। इस पर कोर्ट ने 18 अगस्त 2020 को रक्षा मंत्रालय सचिव अजय सिंह, ब्रिगेडियर डीके सिंह व लेफ्टिनेंट कर्नल रणदीप सिंह स्टेशन हेडक्वार्टर सुखलालपुर, जबलपुर को निर्देश दिए थे कि वे कोर्ट के समक्ष वीसी के जरिए उपस्थित होकर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। इसी आदेश के खिलाफ ब्रिगेडियर स्टेशन हेडक्वार्टर सुखलालपुर व रक्षा मंत्रालय की ओर से यह अपील दायर की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील खारिज कर कहा कि अवमानना के मामले में गुणदोष के आधार पर दिए गए फैसले के खिलाफ अपील का प्रावधान है। लेकिन पूर्वादेश का पालन न होने पर स्पष्टीकरण देने के लिए बुलाने के आदेश के खिलाफ अपील प्रचलनशील नहीं है।