रेगिस्तान की गर्मी हो या लेह तथा लद्दाख के बर्फीले क्षेत्र, देश की रक्षा में तैनात सैनिकों को शुद्ध एवं सामान्य तापमान वाला पानी उपलब्ध करवाने में इस वाहन का बड़ा योगदान है। इस वाहन के ऊपर लगे पानी के टैंकर में इस तरह की तकनीक विकसित की गई हैं जिससे गर्मी में ठंडा एवं सर्दी वाली जगहों में सामान्य पानी रहता है। तापमान नियंत्रित रखने के लिए इसमें अलग-अलग प्रकार की युक्ति लगाई जाती हैं।
20 लाख से ज्यादा कीमत
इस वाहन की न केवल सेना की तैनाती वाली, बल्कि सामान्य कार्यालय एवं प्रशिक्षण संस्थानों में भी जरूरत पड़ती है। इसलिए सेना हमेशा इसे खरीदती है। इसका उत्पादन अभी केवल वीकल फैक्ट्री में होता है। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा मांग दो किलोलीटर वाले वाटर बाउजर की रहती है। इसकी कमी 20 लाख रुपए से ज्यादा है। इसी प्रकार फैक्ट्री ने खुद की तकनीक से पांच किलो लीटर वाटर बाउजर भी बनाया है। लेकिन इसकी मांग उतनी नहीं है।
एमपीवी का काम होगा तेज
वीकल फैक्ट्री में माइन प्रोटेक्टिड वीकल (एमपीवी) का काम भी तेज होगा। इसके लिए हल का काम लगभग पूरा हो चुका है। कुछ जरूरी मटेरियल नहीं होने के कारण इसकी असेम्बलिंग प्रभावित थी। लेकिन, अब काम गति पकडेग़ा। फैक्ट्री के पास सेना के साथ ही अर्धसैनिक बलों की मांग भी इस वाहन को लेकर है।
वाटर बाउजर का इंडेट ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड से मिल गया है। फैक्ट्री में इसका उत्पादन समय पर हो इसके प्रयास किए जाएंगे। इंडेंट को देखते हुए जरुरी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
एके राय, जनसम्पर्क अधिकारी वीएफजे