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बड़ी खबर: एटीएम में नो कैश… हावाला कारोबार है इसकी प्रमुख वजह!

locationजबलपुरPublished: Apr 16, 2018 02:31:01 pm

Submitted by:

Premshankar Tiwari

अकेले मध्य प्रदेश में हवाला के जरिए प्रतिदिन हो रहा 500 करोड़ से अधिक का लेनदेन, खाली पड़े एटीएम बूथ, बने नोटबंदी जैसे हालात

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खाली पड़े एटीएम बूथ, बने नोटबंदी जैसे हालात

जबलपुर। जरूरत पर कैश निकासी की सुविधा के लिए बने एटीएम बूथ अब शो-पीस बनकर रह गए हैं। पिछले करीब एक हफ्ते से अधिकांश एटीएम बूथों में पैसे नहीं है। एटीएम बूथों के अलावा बैंकों में भी लोगों की कतार लग रही है। पैसों की और उसके लिए जद्दोजहद ने नोट बंदी के दौर की यादों को ताजा कर दिया है। बैंकों के अधिकारी करेंसी चेस्ट से पैसा नहीं आने के तर्क के साथ खामोश हैं? वहीं यह सवाल भी खड़े हो गए हैं कि कहीं यहां जमाखोरी का नमूना तो नहीं। जानकार सूत्रों का मानना है कि मालदार और रसूखदार लोगों ने मार्केट का पैसा समेटकर अपने पास जमा कर लिया है। टैक्स बचाने के लिए इस पैसे को नंबर एक की बजाय नंबर दो के रास्ते यानी हवाला के जरिए यहां वे वहां सर्कुलेट किया जा रहा है। अकेले मध्य प्रदेश में ही प्रतिदिन 500 करोड़ रुपए के आसपास कर लेन-देन हवाला के जरिए किया जा रहा है। हवाला कारोबारी मौज में हैं और आम जनता त्रस्त है।

बस एक ही मैसेज
एटीएम में नोटों की कमी ने लोगों को नोटबंदी के समय की कड़वी यादें ताजा करवा दी हैं। हर आदमी नोट के लिए परेशान है। कहीं भी चले जाइये पैसे की कमी लगातार बनी हुई है। इक्का-दुक्का को छोडकऱ किसी एटीएम में नोट नहीं हैं। जैसे ही ग्राहक कार्ड डालता है उसे मैसेज आ जाता है कि पर्याप्त कैश नहीं होने के कारण नजदीकी एटीएम में जाएं। लेकिन मशीन को शायद यह नहीं मालूम की नजदीक का एटीएम भी उसी स्थिति में है।

जद्दोजहद से शुरुआत
जबलपुर समेत एमपी के कई शहरों में एटीएम बूथों पर कतारें दिखीं। लोगों के चेहरे पर उभरे निराशा के भाव ही बता रहे थे कि एटीएम खाली हैं। लोगों ने उम्मीद लगाई कि सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार से हालात सुधरेंगे, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। सोमवा को भी अधिकांश एटीएम खाली ही रहे। लोग भटकते नजर आए और बैंक अधिकारी नोटों की कमी बताकर पल्ला झाड़ते दिखाई दिए। जिले में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक के अलावा दूसरे सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के एटीएम की स्थिति लगभग एक जैसी रही। जरूरतमंद लोग सुबह से ही पैसों के लिए जद्दोजहद में जुटे रहे। शादियों के सीजन में यह स्थिति और भी पीड़ादायक हो गई है। लोगों की खरीददारी नहीं हो पा रही है। विजय नगर निवासी एसके चड्डा व रमेश मालवीय ने बताया कि उनके घर में वैवाहिक कार्यक्रम है। एटीएम में पैसा नहीं है, वहीं बैंक अधिकारी भी राशि की कमी बताकर ज्यादा रकम नहीं दे रहे हैं। इस स्थिति में खरीददारी व अन्य जरूरी काम रुके हुए हैं। दूर-दराज के शहरों व नगरों ने यहां दवा कराने अस्पताल आए मरीजों के परिजनों को भी इस समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। एटीएम से राशि नहीं निकलने की वजह से वे भी परेशान हैं।

नो कैश की तख्ती
सोमवार सुबह जिन एटीएम में पैसा था, वहां ग्राहकों की कतार लगी रहीं। इनमें से भी किसी को नकदी मिली, तो कई को खाली हाथ लौटना पड़ा। एटीएम में पैसा नहीं होने की तख्ती टांग दी गई है। इससे लोगों का बैंकों के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उपभोक्ता मोहित यादव व राहुल विश्वकर्मा ने बताया कि वह सोमवार दोपहर करीब 12 बज भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के एटीएम तक गए लेकिन वहां भी पैसा नहीं निकला। मोहित ने बताया कि उनकी बहन की लगुन है। ऐसे में पैसे नहीं मिलने की वजह से परेशानी बढ़ गई है। मोहित ने बताया कि उन्हें खरीदी के लिए 20 हजार रुपए की जरूरत है। एटीएम से पैसे नहीं निकलने के कारण वे बैंक गए तो वहां से उन्हें केवल पांच हजार रुपए दिए गए। अधिकारी ने तर्क दिया कि अभी कैश का शॉर्टेज है।

रिजर्व बैंक से नहीं आ रहा पैसा
एकाएक नोट की कमी से आम आदमी बेहद परेशान हैं। ग्राहक नीलेश शर्मा ने बताया कि वह एटीएम गया लेकिन उसे पैसे नहीं मिले। कम से कम छह एटीएम में पैसे निकलने की कोशिश की। सभी जगह कम्प्यूटर में नो कैश का संदेश आता रहा। इस बीच बैंकर्स की तरफ से लोगों को यह बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक के द्वारा ही पर्याप्त मात्रा में नकदी नहीं दी जा रही है। इसलिए एटीएम में उसे नहीं डाला जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह स्थिति कब तक रहेगी। इसकी जानकारी शासन एवं बैंक की तरफ से आम लोगों को नहीं दी जा रही हैं।

ये भी है बड़ा कारण
जानकार सूत्रों का कहना है कि हवाला कारोबार और जमाखोरी के कारण एमपी ही नहीं पूरे देश में यही स्थिति बनी हुई है। बड़े कारोबारियों ने बाजार की रकम को समेटकर अपनी तिजोरियों में कैद कर लिया है। खासकर 2000 के नोट मार्केट से गायब कर दिए गए हैं। बैंकों की आंखों में धूल झोंकने और टैक्स बचाने के लिए इस जमा राशि का हवाला के जरिए आदान-प्रदान किया जा रहा है। हवाला कारोबार से जुड़े एक सूत्र की मानें मात्र एमपी में ही रोजाना करीब 500 करोड़ रुपए हवाला के जरिए यहां से वहां पहुंचाए जा रहे हैं। देश भर में यही स्थिति है। इसका खामियाजा केवल आम जनता को ही भुगतना पड़ रहा है। इसमें जल्द सुधार की गुंजाइश भी नहीं दिख रही है।

इनका कहना है
नकदी का पर्याप्त स्टॉक नहीं है। इससे एटीएम में उतनी मात्रा में नोट नहीं भरे जा रहे हैं। स्थितियों में जल्द सुधार लाने के लिए यथा संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रभाष कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक, भारतीय स्टेट बैंक

नकदी की कमी क्यों हो रही है, इसकी जानकारी चेस्ट ब्रांच और नकदी भरने वाली संस्था से ली जाएगी। एटीएम में पर्याप्त राशि हो, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
पीवी साई सुब्रमणि, सीनियर रीजनल मैनेजर, सेन्ट्रल बैंक